Pankaj Udhas: मशहूर सिंगर पंकज उधास का 73 साल की उम्र में लंबी बीमारी के बाद सोमवार को निधन हो गया. वे कई दिनों से बीमार चल रहे थे. इसकी पुष्टि उनकी बेटी नायाब उधास ने की. बेटी ने सोशल मीडिया के जरिए बताया, " बहुत भारी मन से, हम आपको लंबी बीमारी के कारण 26 फरवरी को पद्मश्री पंकज उधास के दुखद निधन के बारे में सूचित करते हुए दुखी हैं. उधास परिवार." पंकज उधास कई दिनों से मुम्बई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती थे. रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुछ महीने पहले उन्हें कैंसर का पता चला था और वह किसी से नहीं मिल रहे थे. इनका जन्म 17 मई 1951 को गुजरात के जेतपुर में हुआ था. पंकज उधास तीन भाइयों में सबसे छोटे थे. 


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पंकज उधास ने हिंदी फिल्मों में कई पॉपुलर गाने और गजलें गाई हैं. उनके बड़े भाई मनहर उधास पहले से ही बॉलीवुड में एक सफल पार्श्व गायक थे. उनके नक्शे कदम पर चलते हुए ही पंकज उधास ने फिल्मी दुनिया का रुख किया था. उधास के शुरुआती करियर में उन्होंने हिंदी फिल्मों के लिए गाना गाया और यहां तक कि भारतीय पॉप में भी काम किया. हालांकि, उन्हें असली पहचान गजलों के लिए मिली, जो संगीत पर आधारित उर्दू कविता का एक रूप है. 1980 में उन्होंने अपना पहली गजल एल्बम, "आहट" रिलीज की, जो काफी प्रसिद्ध हुई. 



कई पुरस्कारों से नवाजा गया 
अपनी कला के प्रति उधास के समर्पण के चलेत पंकज उधास को प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिनमें सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार, गजल गायन के लिए संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और भारत का चौथा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान पद्म श्री शामिल है. अपनी संगीत प्रतिभा के अलावा, उधास अपने विनम्र और व्यावहारिक व्यक्तित्व के लिए जाने जाते थे. पंकज उधास की आवाज हर जगह गजल प्रेमियों के दिलों में हमेशा के लिए बस गई है.


इन गीतों-गजलों से मिली प्रसिद्धि
उधास की सुरीली आवाज, गजल कविता की उनकी सूक्ष्म समझ के साथ श्रोताओं के बीच गहराई से गूंजती रही. वे गजलों को देश में पहचान दिलाने वाले कुछ चुनिंदा लोगों में गिना जाता है. फिल्म "नाम" (1986) के "चिठ्ठी आई है" और "आ गले लग जा" जैसे गीतों ने उन्हें प्रसिद्ध कर दिया. इसके बाद भारत के प्रमुख गजल गायकों में से एक के रूप में उनकी स्थिति मजबूत हुई.