जानिए `रतनजोत वृक्ष` के भारत में उगने की कहानी, जिसे खाकर 21 आदिवासी बच्चे हुए बीमार
अपर कलेक्टर मनोज ठाकुर ने बताया कि जिले के मुंगवानी टोला में एक हाईस्कूल है. स्कूल के पीछे रतनजोत के पेड़ हैं. बसंत ऋतु होने के कारण रतनजोत के बीज गिरते रहते हैं.
नरसिंहपुर: नरसिंहपुर जिले के मुंगवानीटोला में रतनजोत के बीज खाने से 21 आदिवासी बच्चों की तबीयत खराब हो गई. इस बात का पता तब लगा, जब परिजनों ने बच्चों के हाथ में रतनजोत का बीज देखा. इसके बाद आनन-फानन में सभी को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है. फिलहाल बच्चों की हालत स्थिर है. उन्हें डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया है.
अपर कलेक्टर मनोज ठाकुर ने बताया कि जिले के मुंगवानी टोला में एक हाईस्कूल है. स्कूल के पीछे रतनजोत के पेड़ हैं. बसंत ऋतु होने के कारण रतनजोत के बीज गिरते रहते हैं. रविवार को आदिवासी बच्चों ने उसे ही फल समझकर खा लिया. इसके तुरंत बाद ही बच्चे उल्टी करने लगे. इस दौरान कई बच्चे मूर्छित होकर गिर भी गए थे.
इसके बाद बच्चों के माता-पिता द्वारा उन्हें तत्काल मंगवानी प्राथमिक चिकित्सालय लाया गया. यहां पर हालत विगड़ते देख जिला प्रशासन द्वारा सभी बच्चों को नरसिंहपुर जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया. फिलहाल सभी बच्चों की हालत खतरे से बाहर है.
CM शिवराज ने अधिकारियों से की थी चर्चा
रतनजोत के बीज खाने से बच्चों की हालत खराब होने की सूचना जैसे ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को मिली. उन्होंने तुरंत संबंधित अधिकारियों से चर्चा की और जरूरत पड़ने पर उन्हें बेहतर इलाज मुहैया कराने के निर्देश दिए.
जानिए रतनजोत वृक्ष के भारत में उगने की कहानी?
रतनजोत वृक्षमूल वाले सभी तिलहनों में सर्वाधिक उपादेय, हरा-भरा रहने वाला, मुलायम व चिकनाईयुक्त लकड़ीवाला झाड़ीदार पौधा है. इसका वानस्पतिक नाम जेट्रोफा करकास है. मूल रूप से यह वृक्ष अफ्रीका एवं दक्षिणी में ज्यादा पाया जाता है. ऐसा कहा जाता है कि इसके प्रसार का कार्य पुर्तगालियों द्वारा किया गया. 16वीं शताब्दी में पुर्तगालियों द्वारा ही भारतवर्ष में इसे लाया गया. इसके बाद से यह वृक्ष भारत में उगने लगा.
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