नितिन गौतमः मध्य प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसे लेकर राजनीतिक पार्टियां अभी से ही तैयारी में जुट गई हैं. कांग्रेस भी बीजेपी से मुकाबले के लिए अपने संगठन को मांजने पर लगी है. इसके अलावा कांग्रेस एक अहम रणनीति के तहत प्रदेश की आधी आबादी यानि कि महिला मतदाताओं पर फोकस करने में जुट गई है. दरअसल कांग्रेस की योजना है कि ज्यादा से ज्यादा महिला मतदाताओं को अपने पाले में किया जाए, इसके लिए कांग्रेस की महिला कार्यकर्ता घर-घर पहुंचेंगी और हर घर से एक सदस्य को पार्टी से जोड़ने की कोशिश करेंगी. साथ ही ब्लॉक और वार्डों में महिला कांग्रेस की अध्यक्ष नियुक्त की जाएंगी.


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कांग्रेस को अपनी खोई जमीन की तलाश
देश की पुरानी राजनीतिक पार्टी होने के नाते देश के अन्य वर्गों की तरह ही महिला मतदाताओं में भी कांग्रेस की अच्छी पकड़ थी लेकिन जैसे जैसे कांग्रेस कमजोर हुई है, उसके वोटबैंक विभिन्न पार्टियों को शिफ्ट हो रहे हैं. अब महिला मतदाताओं की ताकत को पहचानते हुए कांग्रेस फिर से इस वर्ग को साधने में जुट गई है. इसकी बानगी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिली जब कांग्रेस ने 40 फीसदी टिकट महिला उम्मीदवारों को देने का फैसला किया था. एमपी में जब कमलनाथ की सरकार थी तो उस वक्त राज्य में सेफ सिटी प्रोग्राम लॉन्च किया गया था. यह प्रोग्राम प्रदेश के 6 शहरों भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, छिंदवाड़ा और छतरपुर में लॉन्च किया गया था. जिसके तहत शहरों को महिलाओं के लिए ज्यादा सेफ बनाने की योजना बनाई गई थी. 


इसके अलावा कमलनाथ ने राज्य में पार्टी की महिला विंग को सक्रिय होने के निर्देश दिए हैं और ज्यादा से ज्यादा महिला मतदाताओं तक पहुंचने का लक्ष्य दिया है. इससे साफ पता चलता है कि पार्टी महिला वर्ग में अपनी खोई हुई जमीन को फिर से पाने की कोशिशों में जुटी हुई है. इससे पहले कांग्रेस ने प्रदेश में ब्राह्मण वर्ग को भी साधने की बात कही थी. कांग्रेस ने बीजेपी सरकार पर आरोप लगाया था कि उनकी सरकार में 15 फीसदी ब्राह्मण मतदाताओं का ध्यान नहीं रखा गया है. ऐसे में कांग्रेस इस वर्ग को भी अपने पाले में करने में जुटी है.  


अभी महिला वर्ग में बीजेपी की पकड़
अभी के राजनीतिक परिदृश्य को देखें तो महिला वर्ग में बीजेपी की सबसे अच्छी पकड़ है. अगर ये कहें कि हाल के समय में बीजेपी ने ही महिलाओं की सियासी ताकत को पहचाना है तो गलत नहीं होगा. 2019 के लोकसभा चुनाव में बड़ी संख्या में महिला मतदाताओं ने बीजेपी को वोट दिया. बीते दिनों हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी को महिला मतदाताओं का खूब साथ मिला. बीजेपी को महिला मतदाताओं का साथ मिलने की कई वजह हैं, जिनके लिए पार्टी ने लंबे समय से मेहनत की और आज उसका फल मिल रहा है. राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि महिला मतदाताओं में पीएम मोदी की छवि बेहतर है और इसकी वजह ये है कि पीएम अक्सर अपने भाषणों में महिलाओं की तकलीफों, उनके संघर्ष और उनकी उपलब्धियों के बारे में बात करते हैं. यही वजह है कि महिला मतदाताओं को बीजेपी के साथ जुड़ाव हुआ है.


इसके अलावा बीजेपी सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं में भी महिलाओं का खूब ध्यान रखा जाता है फिर चाहे वो पीएम आवास योजना हो, स्वच्छ भारत अभियान के तहत घर-घर शौचालय बनाने का काम, या फिर उज्जवला योजना, इन सभी योजनाओं में महिलाएं लाभान्वित हुई हैं और इसका फायदा बीजेपी को वोट पर्सेंटेज बढ़ने के रूप में मिला है. साथ ही बीजेपी की सरकार में कई महिला नेताओं को मंत्री बनाने के साथ ही संगठन में भी अहम भूमिका दी गई है. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 53 महिला उम्मीदवारों को लोकसभा का टिकट दिया था. ऐसी ही कुछ वजह हैं कि विभिन्न चुनाव में बीजेपी को महिला मतदाताओं का साथ मिल रहा है और भाजपा लगातार मजबूत हो रही है.


महिला वर्ग क्यों है अहम
भारतीय समाज पितृसत्तात्मक रहा है और आमतौर पर महिलाएं अपने घर के पुरुषों की पसंद के अनुसार ही वोट करती रही हैं लेकिन हाल के कुछ सालों में देखा गया है कि महिलाएं भी राजनीति को लेकर सक्रिय हुई हैं और अक्सर सोशल मीडिया पर अपने राजनीतिक विचारों को प्रकट करती रहती हैं. यही वजह है कि अब कोई भी राजनीतिक पार्टी इस आधी आबादी को नजरअंदाज नहीं कर सकती. मध्य प्रदेश की बात करें तो हालिया पंचायत चुनाव में कई जिलों में देखा गया कि महिला मतदाताओं ने पुरुष मतदाताओं की तुलना में ज्यादा संख्या में वोट डाला. कुछ जिलों में यह वोट पर्सेंटेज 90 फीसदी के करीब भी रहा. 2018 के विधानसभा चुनाव में भी ऐसा ही देखा गया था, जहां महिला मतदाताओं ने पुरुष मतदाताओं की तुलना में ज्यादा वोट दिए. सरकार की विभिन्न योजनाओं की बदौलत राज्य में लिंग अनुपात भी बढ़ा है और महिलाओं की संख्या में उछाल देखा गया है.