नई दिल्ली: मुहर्रम किसी त्योहार या खुशी का महीना नहीं है, बल्कि ये महीना बेहद गम से भरा है. इतना ही नहीं दुनिया की तमाम इंसानियत के लिए ये महीना इबरत (सीखने) के लिए है. इस दौरान मुस्लिम समुदाय के लोग ताजिया निकालते हैं और खतरनाक करतब भी दिखाते हैं. पूरे देश में अलग-अलग राज्यों में ताजिये और जुलूस निकाले जाते हैं. इस दौरान लोग कई बड़े हादसों का भी शिकार हो जाते हैं. ऐसा ही कुछ मध्य प्रदेश के रतलाम में हुआ जहां करतब दिखाते हुए दो लोग गंभीर रूप से झुलस गए. 


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सामने आई खबर के मुताबिक मुहर्रम में अखाड़े के दौरान दो लोग खतरनाक करतब दिखा रहे थे. दोनों ही जमीन पर पेट्रोल डालकर उसमें लौट लगा रहे थे. स्थानीय लोगों का कहना है कि दोनों पिछले तीन साल से ये जानलेवा खेल दिखा रहे है. इसी दौरान दोनों झुलस गए. दोनों करतबबाजों को जिला अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया है. ये मामला थाना बाजना का है. 


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बता दें कि मुहर्रम का पूरा महीना ही बहुत पाक और गम का महीना होता है, लेकिन मुहर्रम 10वां दिन जिसे रोज-ए-आशुरा कहते हैं. 1400 साल पहले मुहर्रम के महीने की 10 तारीख को ही इमाम हुसैन को शहीद किया गया था. उसी गम में मुहर्रम की 10 तारीख को ताजिए निकाले जाते हैं. आज से लगभग 1400 साल पहले मुहर्रम के महीने में इस्लामिक तारीख की एक ऐतिहासिक और रोंगटे खड़े कर देने वाली जंग हुई थी. बातिल के खिलाफ इंसाफ की जंग लड़ी गई थी, जिसमें अहल-ए-बैत (नबी के खानदान) ने अपनी जान को कुर्बान कर इस्लाम को बचाया था. इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक नए साल की शुरुआत मुहर्रम के महीने से ही होती है. इसे साल-ए-हिजरत (जब मोहम्मद साहब मक्के से मदीने के लिए गए थे) भी कहा जाता है.