मनोज जैन/उज्जैनः महाकाल की नगरी में मां-बेटी का मिलाप देख वहां मौजूद लोग भी भावुक हो उठे. उज्जैन के सेवाधाम आश्रम से सामने आईं इन तस्वीरों ने बताया कि मां-बेटी चाहे कितना भी दूर रहें, मिलन के वक्त आंखें भर ही आती हैं. पति के जाने के गम में पत्नी भटकते हुए बिहार से उज्जैन आ गई. लेकिन, पुलिस की सराहनीय कोशिशों के बाद अब जाकर महिला की बेटी से मुलाकात हो पाई.


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पति की मौत के बाद लगा सदमा
मामला उज्जैन से सामने आया, यहां 65 साल की माधवी भटकते हुए आ गईं. वो बिहार के गया में रहती हैं, कुछ दिनों पहले ही पति की मौत हो गई. तब से ही वह मानसिक शांति की तलाश में पंडितों के चक्कर में अपना धन बर्बाद करने लगीं. फिर एक दिन पति की मौत के सदमे से उबरने वह गया से ट्रेन पकड़कर उज्जैन पहुंच गईं. 


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महाकाल में मिला आश्रय
लॉकडाउन होने के चलते उन्हें शहर में कहीं भी सहारा नहीं मिला, किसी के कहने पर वह महाकाल मंदिर पहुंचीं. उज्जैन थाना प्रभारी को महिला के बारे में जानकारी मिली, TI ने उन्हें सेवाधाम भेजा. सेवाधाम आश्रम के संस्थापक सुधीर भाई गोयल उर्फ भाइजी ने बताया कि कोरोना के कारण महिला के पति की मौत हो गई. जिससे उनकी मानसिक स्थिति बिगड़ी, इसी कारण भटकते हुए वो बिहार से उज्जैन आ पहुंचीं. 


महाकाल थाने के प्रयासों से हुआ मिलन
थाना प्रभारी ने महिला से पूछताछ की, लेकिन कोई भी जानकारी नहीं मिली. महिला के पास एक डायरी मिली, जिसमें एक मोबाइल नंबर लिखा था. उस नंबर पर फोन कर महिला के बारे में बताया गया. नंबर महिला की बेटी का था, वह अपने पति के साथ मां को लेने उज्जैन आ गई. बेटी सेवाधाम पहुंची तो पूरी कहानी पता चली.


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अखबारों में छपवाई गुमशुदगी की खबर
बेटी ने पुलिस को बताया कि मां के लापता होने के बाद उसने बिहार के कई अखबारों में गुमशुदगी की सूचना छपवाई. रिश्तेदारों से बात की, कई जगह ढूंढा, लेकिन कहीं से कोई खबर नहीं मिली. दो दिन पहले पुलिस विभाग से फोन आते ही वह बिना देर किए अपने पति के साथ ट्रेन में बैठकर उज्जैन आ गई. दोनों का मिलाप देख हर कोई भावुक हो उठा. आखिरकार मानसिक पीड़ा से जूझ रही मां की अपने परिवार में वापसी हो ही गई.


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