बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन आए थे गुरू नानक देव, इस जगह किया था गुरूवाणी का प्रचार
Guru Nanak Jayanti: सिख धर्म के संस्थापक श्री गुरु नानक देव जी का आज 555वां प्रकाश पर्व मनाया जा रहा है. क्या आपको पता है कि गुरूनानक देवजी का मध्य प्रदेश के उज्जैन से भी खास नाता रहा है.
Guru Nanak Prakash Parv 2024: आज पूरे देश और दुनिया भर में सिख धर्म के संस्थापक श्री गुरू नानक देव जी का 555वां प्रकाश पर्व मनाया जा रहा है. गुरू नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 को तलवंडी राय में हुआ था जो आज के पाकिस्तान में आता है, इस जगह को लोग ननकाना साहब के नाम से जानते है. गुरूनानक देव जी का मध्य प्रदेश से भी खास नाता रहा है. क्योंकि उन्होंने अपनी यात्रा के दौरान एक लंबा समय मध्य प्रदेश में भी बिताया है. गुरू नानक देव जी बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन भी गए थे. जहां उन्होंने गुरूवाणी का प्रचार किया था.
उज्जैन की इस जगह पर आए थे गुरूनानक देव जी
उज्जैन जिसे अवंतिका के नाम से जाना जाता था, वहां पर गुरूनानक देवजी आए थे. दरअसल, नानक जी गिरनार पर्वत की यात्रा कर उज्जैन आए थे. यहां वे लंबे समय तक रहे, इस दौरान उन्होंने रामघाट के सामने इमली के नीचे, योगीराज भर्तृहरि के शिष्यों के साथ सत्संग किया. जिसका उल्लेख गुरु ग्रंथ साहिब की पवित्र किताब में भी किया गया है. ऐसे में उज्जैन से भी उनका खास लगाव माना जाता है.
गुरूवाणी सुनकर प्रसन्न हुए थे भर्तृहरि
उज्जैन की भर्तृहरि गुफा जो आज भी प्रसिद्ध है, जहां भर्तृहरि ध्यान करते रहते थे. उस गुफा के पास मुस्लिम समाज ने एक मस्जिद बनाई थी, जिसमें इमली का विशाल पेड़ था. नानक जी जब पहली बार उज्जैन आए तो इसी पेड़ के नीचे बैठे थे. जिसके बाद उनकी भर्तृहरि से मुलाकात हुई थी, उज्जैन पहुंचने के बाद नानक साहब और भाई मर्दाना ने कीर्तन शुरू किया. भर्तृहरि ने गुरू नानक साहब से प्रश्न पूछा कि यहां आने वाले कितने जोगी मोक्ष को प्राप्त होंगे, जिसके जवाब में नानक साहब ने भर्तृहरि को तीन शब्द सुनाए जो गुरु ग्रंथ साहिब की किताब के अंग क्रमांक-223 पर लिखे हैं. जिसे सुनकर भर्तृहरि बहुत ही प्रसन्न हुए थे. जिसके बाद उन्होंने कई सारे सवाल कर नानक साहब से अपनी मन की शंकाओं को दूर किया था.
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ये थे गुरूनानक देवजी के तीन शब्द
पहला- मनुष्य आध्यात्मिक कर्म करे तो सच्चा है. झूठा मनुष्य मुक्ति के रहस्य को नहीं समझ सकता. योगी वह है जो प्रभु मिलन की युक्ति विचारता है और पांच विकारों का अंत कर ईश्वर को हृदय में बसाता है.
दूसरा- क्षमा का स्वभाव मेरे लिए व्रत, उत्तम आचरण और संतोष है. मुझे न रोग का दुख है न मृत्यु का. मैं निराकार ईश्वर में लीन होकर मुक्त हो गया हूं.
तीसरा- मनुष्य को पाप की घाटी से उतर कर गुणों के सरोवर में स्नान करना चाहिए. ईश्वर का गुणगान करना चाहिए. जैसे आकाश में जल है वैसे प्रभु में लीन रहना चाहिए और सत्य का चिंतन कर अमृत रूपी महारस का पान करना चाहिए.
उज्जैन में भी मनाया जाता है प्रकाश पर्व
गुरूनानक देवजी की जयंती पर होने वाला प्रकाश पर्व उज्जैन में भी धूमधाम से मनाया जाता है. जहां सिख समाज के साथ अन्य धर्मों के लोग भी आयोजन में भाग लेते हैं. बता दें कि गुरु नानक जी के पिता का नाम मेहता कलयाण दास और माता का नाम तृप्ता देवी था और उनकी एक बड़ी बहन भी थी जिनका नाम देवी नानकी था. उनकी पत्नी का नाम माता सुलखानी था. उन्होंने पाकिस्तान के नारोवाल ज़िले के करतारपुर में 22 सितंबर 1539 को समााधी ली थी. जिसे आज करतारपुर साहिब कॉरिडोर के नाम से जाना जाता है.
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