सिंधिया समर्थकों के सवाल पर किनारा कर गए केंद्रीय मंत्री तोमर, नहीं बताया चुनाव से पहले क्यों बनाया मंत्री?
मध्य प्रदेश विधानसभा का उपचुनाव बीजेपी के लिए बेहद खास है. क्योंकि इसके नतीजे शिवराज सरकार का भविष्य तय करेंगे. इसीलिए पार्टी उपचुनाव की तैयारी में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है.
दीपक अग्रवाल/शिवपुरी: मध्य प्रदेश विधानसभा का उपचुनाव बीजेपी के लिए बेहद खास है. क्योंकि इसके नतीजे शिवराज सरकार का भविष्य तय करेंगे. इसीलिए पार्टी उपचुनाव की तैयारी में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है. कमलनाथ की सरकार गिराने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया को सम्मान देने के साथ भाजपा ने उनके समर्थकों को शिवराज सरकार में मंत्री बनाया है. लेकिन इनमें से कोई भी वर्तमान में विधानसभा का सदस्य नहीं है. इसे कांग्रेस मुद्दा बनाती रही है और बिना विधानसभा के सदस्य हुए मंत्री पद देने को गैर संवैधानिक बताती रही है. हालांकि इस पर बीजेपी बोलने से बचती है. शनिवार को जब केंद्रीय कृषि मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता नरेंद्र सिंह तोमर से सिंधिया समर्थकों को उपचुनाव से पहले मंत्री बनाने पर सवाल पूछा गया, तो वह जवाब देने से बचते नजर आए.
दरअसल केंद्रीय कृषि मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता नरेंद्र सिंह तोमर एक दिवसीय शिवपुरी दौरे पर पहुंचे थे. यहां उन्होंने प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा के साथ बैठक की. इस दौरान उन्होंने पत्रकारों से भी बातचीत की. तभी सवाल पूछा गया कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर आए पूर्व विधायकों को चुनाव जीतने से पहले ही मंत्री क्यों बना दिया. इसका जवाब देने की बजाय वो बचते नजर आए. हालांकि उन्होंने बसपा के चुनाव लड़ने पर जरुर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की. केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि मध्य प्रदेश में होने वाले 27 सीटों पर उपचुनाव में बहुजन समाज पार्टी का चुनाव लड़ना उनका अपना निर्णय है लेकिन बीजेपी अपनी ताकत पर चुनाव लड़ेगी. हमें पूरा भरोसा है कि जनता हमारा साथ जरुर देगी.
सिंधिया के 22 समर्थकों ने छोड़ा था हाथ का साथ
आपको बता दें कि ज्योतिरादित्य के कांग्रेस छोड़ने के बाद उनके 22 समर्थकों ने भी हाथ का साथ छोड़ दिया था. इनमें प्रदुम्न सिंह तोमर, रघुराज कंसाना, कमलेश जाटव, रक्षा संत्राव, भांडेर जजपाल सिंह जज्जी, इमरती देवी, प्रभुराम चौधरी, तुलसी सिलावट, सुरेश धाकड़, महेंद्र सिंह सिसोदिया, ओपी एस भदौरिया, रणवीर जाटव, गिरराज दंडोतिया, जसवंत जाटव, गोविंद राजपूत, हरदीप डंग, मुन्ना लाल गोयल, ब्रिजेंद्र यादव, मोहन सिंह राठौड़, बिसाहू लाल सिंह, ऐदल सिंह कसाना, मनोज चौधरी शामिल थे. इनमें से कई नेताओं को शिवराज सरकार में मंत्री बनाया गया है.
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गौरतलब है कि मध्य प्रदेश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब 14 मंत्री विधायक नहीं हैं. कमलनाथ सरकार में केवल 6 मंत्री सिंधिया समर्थक थे. लेकिन शिवराज सरकार में 11 मंत्री सिंधिया कोटे से हैं. इनमें कांग्रेस छोड़कर आए 3 और नेताओं को मंत्री बनाया गया है. नेताओं को जोड़ लें, तो इनकी संख्या 14 हो जाती है.
इन्हें मिला मंत्री पद
-गोविंद सिंह राजपूत
-तुलसी सिलावट
-प्रद्युम्न सिंह तोमर
-इमरती देवी
-प्रभुराम चौधरी
-महेंद्र सिंह सिसोदिया
-राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव
-बृजेंद्र सिंह यादव
-गिर्राज दंडोतिया
-सुरेंद्र धाकड़
-ओपीएस भदौरिया
-बिसाहू लाल सिंह
-हरदीप सिंह डंग
-एंदल सिंह कसाना
कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आए 14 नेताओं को मंत्री पद दिया गया है. हालांकि ये अभी कहीं से भी विधायक नहीं है. 6 महीने के अंदर-अंदर इन्हें विधानसभा का चुनाव जीतना जरुरी है. नियमों के मुताबिक अगर ये सभी मंत्री चुनाव नहीं जीतते हैं, तो सत्ता से बाहर हो जाएंगे.