सरगुजा में आज भी चलन में है हाट बाजार; दिवाली पर उमड़ती है भीड़

Abhinaw Tripathi
Oct 24, 2024

Sarguja Haat Bazaar

दिवाली का त्योहार नजदीक आ रहा है, दिवाली पर बड़े- बड़े शापिंग मॅाल में लोगों की भीड़ उमड़ती है, इन सब के बीच सरगुजा के हाट बाजार भी गुलजार रहते हैं, यहां पर खरीददारी करने दूर- दूर से लोग आते हैं.

हाट बाजार

दिवाली पर सरगुजा के हाट बाजार गुलजार दिखाई देते हैं.आज भी यहां के गांव में साप्ताहिक बाजारों में भीड़ देखने लायक रहती है.

वस्तुएं

यह बाजार किसी शॉपिंग मॉल से कम नहीं होते. यहां छोटी सी छोटी और बड़ी सी बड़ी वस्तुएं मिलती हैं.

साप्ताहिक

यह बाजार अम्बिकापुर शहर से करीब 20 किलोमीटर दूर बरियों का बाजार है, बरियों का साप्ताहिक बाजार काफी पुराना और बड़ा भी है.

खरीदी करने

कई गांव जैसे बधिमा, सिधमा, भिलाई, बादा, भेस्की, आरा, अमड़ी पारा, ककना, मदनेश्वरपुर जैसे बहुत से गांव हैं. जहां से लोग इस बाजार में खरीदी करने आते हैं.

बड़ी आबादी

एक बड़ी आबादी इस बाजार पर निर्भर रहती है. कपड़े, किराना, राशन, सब्जी, कॉस्मेटिक, बीज, मिठाईयां यहां तक की लाई मुर्रा भी इस बाजार में उपलब्ध होता है.

स्वरूप

सरगुजा में बाजारों का स्वरूप बड़ा ही लुभावना होता है. लकड़ी और खप्पर के सहारे झोपड़ी बनाई जाती है. एक क्रम में बने झाले और विभिन्न सामग्रियों से सजा बाजार बेहद आकर्षक दिखता है.

झाला

इस झोपड़ी को स्थानीय बोली में झाला कहा जाता है. हर दुकानदार का अपना झाला होता है. जो ज्यादा छोटे व्यापारी होते हैं वो झाला ना बनवाकर तिरपाल के नीचे ही दुकान लगाते हैं.

उपयोगिता

सरगुज़ा के बाजार ने आज भी अपनी उपयोगिता नहीं खोई है. शहरों के मॉल और बड़ी दुकानों के बावजूद सरगुजा में बाजार चलन में हैं.

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