Mainpuri Bypolls: मुलायम के गढ़ में फंसेगी SP की साइकिल? डिंपल यादव के लिए 94 हजार वोटों का अंतर है बड़ी मुश्किल
Dimple Yadav: मैनपुरी में मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) की विरासत बचाने के लिए अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने अपनी पत्नी डिंपल यादव (Dimple Yadav) को चुनावी मैदान में उतारा है.
Mainpuri By-Election 2022: मैनपुरी लोकसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव के लिए सोमवार को शांतिपूर्ण ढंग से मतदान हुआ और कुल 54.37 प्रतिशत वोटर्स ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. अब सभी को 8 दिसंबर का इंतजार है, जिस दिन मतों की की गणना होगी. एक तरफ समाजवादी पार्टी (SP) मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) की विरासत बचाने में लगी है तो दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी (BJP) सपा के गढ़ में जीत की कोशिश कर रही है. इस बीच सपा उम्मीदवार डिंपल यादव (Dimple Yadav) के लिए 94 हजार वोटों का अंतर बड़ी मुश्किल है और इसी वजह से कई लोग आशंका जता रहे हैं कि मुलायम सिंह के गढ़ में सपा की साइकिल फंस जाएगी.
मुलायम सिंह यादव के गढ़ फंसेगी SP की साइकिल?
सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के निधन के बाद मैनपुरी लोकसभा सीट पर उपचुनाव (Mainpuri By-Election) हो रहा है, लेकिन 94 हजार वोट का अंतर सपा के लिए मुश्किल बढ़ा रहा है. दरअसल, मैनपुरी सीट पर लंबे समय से सपा का कब्जा है और पार्टी आसानी से बड़े अंतर के साथ जीत दर्ज करती आ रही है, लेकिन 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव को सिर्फ 94 हजार के अंतर से जीत मिली थी. 2019 के चुनाव में मुलायम सिंह यादव ने बीजेपी के बीजेपी प्रत्याशी प्रेम सिंह शाक्य को 94 हजार मतों से हराया था.
साल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले ही मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) ने ऐलान कर दिया था कि ये उनका आखिरी चुनाव है, लेकिन इसके बावजूद उनके जीत का अंतर उतना नहीं था, जितना पहले होता था. मुलायम सिंह यादव को 524926 वोट मिला था, जबकि बीजेपी के प्रेम सिंह शाक्य ने 430537 वोट हासिल किया था. इससे पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव ने 595918 वोट हासिल किए था, जबकि बीजेपी के शत्रुघ्न सिंह चौहान को सिर्फ 231252 वोट मिले थे और सपा संस्थापक के जीत का अंतर 3.64 लाख था. इससे पहले 2009 के चुनाव में मुलायम सिंह यादव के जीत का अंतर 1.73 लाख और साल 2004 के लोकसभा चुनाव में 3.37 लाख था.
सपा के लिए कैसे बड़ी मुश्किल है 94 वोट का अंतर?
समाजवादी पार्टी (SP) उम्मीदवार डिंपल यादव (Dimple Yadav) के लिए 94 हजार के वोट का अंतर मुश्किल बढ़ाने वाला है, क्योंकि इस बार के चुनाव में बसपा और कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार नहीं उतारे हैं. चुनाव में बीजेपी और सपा के बीच सीधी टक्कर है और दलित वोट अहम भूमिका निभाने वाला है. मैनपुरी सीट पर बसपा एक बार भी जीत हासिल नहीं कर पाई है, लेकिन उसका औसत वोट प्रतिशत करीब 16 प्रतिशत रहा है और इस बार ये वोट अहम है. मैनपुरी में करीब 2 लाख दलित वोटर्स (Dalit Voters) है, जिनका वोट जीत-हार में अहम भूमिका निभा सकता है.
दलित वोटर्स पर सपा और बीजेपी दोनों की निगाहें
मैनपुरी उपचुनाव (Mainpuri Bypolls) में सपा और बीजेपी (BJP) दोनों ने दलित वोटर्स को साधने की कोशिश की. अखिलेश यादव ने मैनपुरी में सपा के कार्यालय का उद्घाटन एक दलित महिला से कराया तो वहीं, बीजेपी ने भी दलित वोटर्स को अपनी तरफ करने के लिए डोर-टू-डोर कैंपेन चलाया. इसके साथ ही बीजेपी ने जातीय समीकरणों को ध्यान रखते हुए कदावर नेता रघुराज सिंह शाक्य (Raghuraj Singh Shakya) को मैदान में उतारा है.
मैनपुरी में समाजवादी पार्टी को यादव वोट का सहारा
रिपोर्ट्स के अनुसार, मैनपुरी में समाजवादी पार्टी (SP) की जीत में यादव वोटर्स (Yadav Voters) की भूमिका रही है, जबकि मुस्लिम वोटर्स का भी समर्थन सपा की तरफ रहा है. बता दें कि मैनपुरी में यादवों की संख्या करीब 4.25 लाख है और मुस्लिम वोटर्स की बात करें तो इनकी संख्या करीब 1 लाख है.
मैनपुरी में यादव वोटर्स पर भी रही बीजेपी की नजर
मैनपुरी उपचुनाव (Mainpuri By-Election) में सपा का गढ़ जीतने के लिए भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने पूरी तैयारी की थी और पिछले 6 महीनों से भाजपा ने यादवों के बड़े नेता और पूर्व सांसद हरनाम यादव के परिवार के लोगों को पार्टी में शामिल किया. इसके साथ ही हरनाम यादव की पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में पीएम नरेंद्र मोदी ने भी हिस्सा लिया था.
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