कोलकाता: पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव से पहले, ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को गाय बांटने के राज्य सरकार के फैसले की वाम पार्टी और कांग्रेस के साथ ही भाजपा ने भी आलोचना की है. माकपा और कांग्रेस ने सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पर राजनीति का सांप्रदायिकरण करने और भाजपा की मदद करने का आरोप लगाया है. वहीं भाजपा ने इस निर्णय को ‘खैरात की राजनीति’ के जरिए लोगों को खुश करना करार दिया. कांग्रेस और माकपा ने आरोप लगाया है कि तृण मूल पंचायत चुनाव में भाजपा की मदद करने की कोशिश कर रही है. तृणमूल ने 14 नवम्बर को अपने निर्णय का ऐलान किया था. विपक्ष के नेता और कांग्रेस के आला रहनुमा अब्दुल मन्नान के मुताबिक, फैसला स्पष्ट रूप से प्रकट करता है कि तृणमूल, भाजपा की विभाजनकारी राजनीति में उसकी मदद कर रही है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

अब्दुल मन्नान ने पीटीआई भाषा से कहा कि पंचायत चुनाव से पहले गाय क्यों बांटी जाएं? यह स्पष्ट संकेत है कि तृणमूल बंगाल में भाजपा को उसकी विभाजनकारी राजनीति के जरिए बढ़त हासिल करने में मदद कर रही है. तृणमूल और भाजपा के बीच राज्य के ध्रुवीकरण के लिए मूल समझौता हुआ है. माकपा के पोलित ब्यूरो के सदस्य मोहम्मद सलीम ने कहा कि यह राज्य में गाय की राजनीति के लिए रास्ता तैयार करने की चाल है जो भाजपा समूचे देश में कर रही है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अगले साल होने वाले पंचायत चुनाव से पहले भाजपा की मदद करना चाहती है.


ममता बनर्जी बोलीं-'शर्म की बात है कि मैं इस धरती पर पैदा हुई'


भाजपा ने भी कदम की आलोचना की है. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि विकास की राजनीति के बजाए राज्य सरकार का यकीन खैरात की राजनीति में है. वे पहले साइकिल और जूते दे चुके हैं और अब गाय दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि अगर सरकार गाय की सुरक्षा को लेकर संजीदा होती तो गायों की तस्करी को रोकने के लिए कदम उठाती.


वहीं पशु संसाधन विकास मंत्री स्वप्न देबनाथ ने फैसले का बचाव करते हुए कहा कि ग्रामीण इलाकों में गायों को बांटने से परिवार आत्मनिर्भर बनेंगे और दूध का उत्पादन बढ़ेगा. गायों को बांटने की प्रक्रिया जल्द शुरू होगी अगले कुछ महीने में पूरी हो जाएगी.