मुंबई: महाराष्ट्र (Maharashtra) में मंदिर खोलने को लेकर राजनीति गरमा गई है. शिवसेना (Shiv Sena) नेे बीजेपी पर हमला बोला है. शिवसेना मुखपत्र सामना (saamana) ने लिखा कि अमरनाथ यात्रा बंद करने वाले महाराष्ट्र में मंदिरों को खोलने की मांग कर रहे हैं. कोरोना संक्रमण के कारण इस बार की अमरनाथ यात्रा को रद्द कर दिया गया है. यहां 'महाराष्ट्र के मंदिरों को खोलो' ऐसा कहना और वहां अमरनाथ यात्रा (Amarnath Yatra) को रद्द करना, यह दोहरी नीति है.  


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किस देवता से हिसाब मांगें?
सामना ने लिखा, "कोरोना संकट के कारण देशभर के 'देवता' लॉकडाउन में बंदी हो गए हैं. पहले देवताओं और दानवों के बीच युद्ध होता था, तब दानव देवताओं को बंदी बना लेते थे, ऐसी कथाएं पुराणों में मिलती हैं. अब कोरोना नामक दानव ने देवताओं को बंदी बना लिया है. मंदिर ही नहीं अपितु किसी भी प्रार्थना स्थल को नहीं खोलना है, ऐसा सरकारी आदेश है. इसलिए अधिकतर सारे धार्मिक उत्सव बंद हैं. मुंबई में होने वाला माउंट मेरी का मेला रद्द कर दिया गया. लेकिन कुछ दिनों पहले महाराष्ट्र के भाजपा के सयाने नेताओं ने मुख्यमंत्री ठाकरे से मांग की कि महाराष्ट्र के मंदिरों को तुरंत खोलो. भारतीय जनता पार्टी रोज ‘ये खोलो, वो खोलो’ जैसी मांगें किस आधार पर कर रही है, यह एक बार साफ हो जाए तो अच्छा होगा."  


सामना ने आगे लिखा, "जम्मू-कश्मीर में फिलहाल केंद्र का शासन है. कोरोना संक्रमण के कारण इस बार की अमरनाथ यात्रा को रद्द कर दिया गया है. यहां 'महाराष्ट्र के मंदिरों को खोलो' ऐसा कहना और वहां अमरनाथ यात्रा को रद्द करना, यह दोहरी नीति है. बीजेपी नेता कह रहे हैं, 'वर्तमान संकट काल में समाज को मानसिक और धार्मिक सहारे की आवश्यकता है, इसलिए सारे मंदिरों को खोल देना चाहिए.' दक्षिण के तिरुपति बालाजी मंदिर को खोला गया. पहले ही झटके में 34 पुजारी कोरोना से संक्रमित हो गए. उसमें से एक मुख्य पुजारी ने अपनी जान गंवा दी. कम-से-कम नेताओं को इस बात का खयाल रखना चाहिए. 'मंदिरों को खोलो' जैसा राग अलापने से कोई हिंदुत्ववादी साबित नहीं होगा तथा 'मस्जिद और चर्च को खोलो' ऐसी मांगें करने से कोई सेक्युलर बनकर चार चांद नहीं लगाएगा. वर्तमान समय 'जियो और जीने दो' के मंत्र के अनुपालन का है."  


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सफेद कपड़ों के देवदूत अस्पताल में सेवारत
शिवसेना के मुखपत्र सामना ने लिखा, "आज देश में सबसे ज्यादा आवश्यकता स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं के निर्माण की है. मुंबई में 5 हजार बेड का अस्पताल मनपा शुरू करेगी, ऐसा मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने घोषित किया. यह भी एक प्रकार का मंदिर नहीं है क्या? आज सभी अस्पताल और कोविड केंद्र एक प्रकार से मंदिर का ही स्वरूप प्राप्त कर चुके हैं. लॉकडाउन में धार्मिक स्थलों पर बंदी भले हुई हो लेकिन सफेद कपड़ों के देवदूत अस्पताल में सेवारत हैं. मुंबई मनपा के नायर अस्पताल में अब तक 500 से अधिक नवजात बालकों ने कोरोना को मात दी. इन बच्चों को जन्म देनेवाली माताएं कोरोना संक्रमित थीं इसलिए जन्मे बच्चों की सुरक्षा करना यह सफेद कपड़ों के देवदूतों का कर्तव्य था और उन्होंने उसे पूरा करके भी दिखाया."