मणिपुर में मुख्यमंत्री बीरेन एन सिंह ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है. वो इस्तीफा देने के लिए राजभवन के रवाना हो गए थे. लेकिन रास्ते में बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री के काफिले को राजभवन की ओर बढ़ने से रोक दिया. इस दौरान उन्होंने प्रदर्शन कर रही महिलाओं से कहा कि वह मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं देंगे. 

 

मुख्यमंत्री की इस घोषणा के साथ ही उनके इस्तीफे संबंधी अफवाहों पर विराम लग गया. सिंह ने बाद में एक ट्वीट में कहा, ‘‘मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि ऐसे संकट के समय में मैं मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं दूंगा.’’

 

संगमा बोले- स्थिति जटिल

 

मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड के संगमा ने कहा, 'मणिपुर में स्थिति बहुत जटिल है और इसके कई कारक हैं. भारत सरकार को सभी पहलुओं की जांच कर उसके अनुसार कार्य करना होगा..एक पार्टी के रूप में हम चाहते हैं कि मणिपुर के हालात सामान्य हो जाएं. मणिपुर में मानवतावादी संकट जैसी स्थिति हो गई है, चाहे किसी भी समुदाय के लोग हों अंत में वे ही सबसे ज्यादा जूझ रहे हैं.

 

किस बात पर हुआ बवाल?

 

मणिपुर में मेइती और कुकी समुदाय के बीच मई की शुरुआत में भड़की जातीय हिंसा में 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें शुरू हुई थीं.

 

मणिपुर की 53 प्रतिशत आबादी मेइती समुदाय की है और यह मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहती है. वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत है और यह मुख्यत: पर्वतीय जिलों में रहती है.

 

तैयार था इस्तीफे का पत्र

 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुख्यमंत्री ने एक त्याग पत्र टाइप किया था, लेकिन उनके समर्थकों ने उन्हें इसे फाड़ने के लिए राजी कर लिया. इससे पहले दोपहर में महिलाएं और काली शर्ट पहने सैकड़ों युवा मुख्यमंत्री आवास के सामने धरने पर बैठ गये और मांग की कि बीरेन सिंह को इस्तीफा नहीं देना चाहिए.

 

कुछ महिला प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि उन्होंने फटा हुआ पत्र देखा है और सोशल मीडिया पर इसकी प्रतियां भी पोस्ट की हैं. हालांकि, मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस मुद्दे पर सवालों का जवाब नहीं दिया.

 

गुरुवार को हुई गोलीबारी में 3 की मौत

 

अफवाहें थीं कि राज्य में फिर से हुई हिंसा के बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने पर विचार कर रहे हैं. गुरुवार को हुई हिंसा की घटनाओं में तीन लोगों की मौत हो चुकी है. महिला नेता क्षेत्रीमयुम शांति ने कहा, ‘‘ इस संकट की घड़ी में, बीरेन सिंह सरकार को दृढ़ रहना चाहिए और उपद्रवियों पर नकेल कसनी चाहिए.’’

 

हथियारों से लैस दंगाइयों ने गुरुवार को हरओठेल गांव में बिना किसी उकसावे के गोलीबारी की थी. इसमें तीन लोगों की मौत हो गई थी. सेना ने कहा कि सुरक्षा बलों के जवानों ने स्थिति से निपटने के लिए उचित तरीके से जवाबी कार्रवाई की. अधिकारियों के अनुसार, गुरुवार को मारे गए दो दंगाई जिस समुदाय के थे, उसके सदस्यों ने उनके शव के साथ यहां मुख्यमंत्री सिंह के आवास तक जुलूस निकालने की कोशिश की.

 

अधिकारियों के मुताबिक, महिलाओं के नेतृत्व में मुख्यमंत्री के आवास की तरफ बढ़ रहे प्रदर्शनकारियों ने पुलिस को उन्हें गिरफ्तार करने की चुनौती भी दी. उन्होंने बताया कि प्रदर्शनकारी पुलिस की आवाजाही को बाधित करने के लिए सड़क के बीच में टायर जलाते हुए भी देखे गए.

 

अधिकारियों के अनुसार, सुरक्षाकर्मियों ने जब प्रदर्शनकारियों को सिंह के आवास तक मार्च करने से रोका, तो वे हिंसक हो गए, जिसके बाद पुलिस को भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागने पड़े और लाठीचार्ज करना पड़ा.

कांग्रेस की मांग- बर्खास्त हो सरकार


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कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल रमेश बैस से शुक्रवार को मुलाकात की और उनसे हिंसा प्रभावित मणिपुर की सरकार को बर्खास्त किए जाने की पार्टी की मांग से राष्ट्रपति को अवगत कराने का अनुरोध किया. बैस को इस आशय का ज्ञापन सौंपने वाले कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व पार्टी की राज्य इकाई के कार्यकारी अध्यक्ष नसीम खान ने किया. उनके साथ अल्पसंख्यक समूहों तथा ईसाई संगठनों के प्रतिनिधि और आदिवासी नेता भी थे.