Manipur Viral Video Parade: मणिपुर में कुकी-जोमी समुदाय की दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड कराने का वीडियो बुधवार को सामने आने के बाद पूरे देश में हड़कंप मच गया है. यह वीडियो चार मई का  है, जिसमें नजर आ रहा है कि कुकी-जोमी समुदाय की दो महिलाओं को लोग निर्वस्त्र कर परेड करा रहे हैं. अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में इन महिलाओं ने उस खौफनाक घटना के बारे में बताया है. उन्होंने कहा कि घटना के वक्त पुलिस वहीं मौजूद थी और उन्होंने हमें भीड़ के हवाले छोड़ दिया. इनमें एक महिला की उम्र 20 साल और दूसरी की उम्र 40 साल बताई गई है.


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'दिनदहाड़े किया गया गैंगरेप'


 इस मामले की पुलिस के पास 18 मई को शिकायत दर्ज कराई गई थी. इसमें पीड़िताओं ने कहा कि युवा महिला के साथ दिनदहाड़े गैंगरेप किया गया. शिकायत में महिलाओं ने कहा, कांगपोकपी जिले में उनके गांव पर भीड़ ने हमला कर दिया, जिसके बाद वह आश्रय के लिए जंगल में भाग गए थे. बाद में उन्हें थौबल पुलिस ने बचाया और जब हम लोगों को पुलिस स्टेशन ले जाया जा रहा था तब भीड़ ने हमें रास्ते में रोक लिया और पुलिस स्टेशन से करीब दो किलोमीटर दूरी पर पुलिस की कस्टडी से छीन लिया. 


अपने पति के घर से फोन पर इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में युवा महिला ने कहा, 'पुलिस भी उस भीड़ के साथ थी, जिसने हमारे गांव पर हमला किया. पुलिस ने हमें हमारे घर के पास से उठाया और गांव से थोड़ी दूर ले जाकर सड़क पर भीड़ के हवाले कर दिया. हमें पुलिस ने ही उनके हवाले किया था.'


शिकायत में पीड़ित महिलाओं ने कहा कि उनमें से पांच लोग वहां एक साथ थे: वीडियो में दिख रही दो महिलाएं, 50 साल की एक अन्य महिला जिसे कथित तौर पर निर्वस्त्र किया गया था और सबसे छोटी महिला के पिता और भाई. महिलाओं का आरोप है कि भीड़ ने उन्हें मार डाला.


देशभर में मचा बवाल


महिलाओं ने कहा कि उनको और उनके परिवार को यह मालूम नहीं था कि इस घटना का वीडियो बनाया गया है. यह वीडियो सामने आने के बाद पूरे देश में बवाल मच गया है. इसके बाद पुलिस और राज्य सरकार एफआईआर दर्ज होने के 2 महीने बाद एक्शन लेने को मजबूर हुई. पीड़िता ने कहा कि वहां 'काफी मर्द' मौजूद थे, जो भीड़ का हिस्सा थे.वह उनमें से कुछ को पहचान सकती है. उनमें से एक तो उसके भाई का दोस्त है.


बता दें कि मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें शुरू हुई थीं. तब से अब तक 160 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है.