Manish Sisodia: मनीष सिसोदिया को कोर्ट से झटका, मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 5 दिन और बढ़ी ईडी की रिमांड
Excise Policy Case: हालांकि कोर्ट ने मनीष सिसोदिया को इजाजत दी कि वह अपने परिवार के खर्च और पत्नी के मेडिकल खर्च के लिए क्रमश: 40 हजार और 45 हजार रुपये के चेक साइन कर सकते हैं.
Money Laundering Case: दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को फिर कोर्ट से झटका लगा है. मनी लॉन्ड्रिंग मामले में शुक्रवार को राउज एवेन्यू कोर्ट ने उनकी ईडी रिमांड 5 दिन और बढ़ा दी है. यह मामला जीएनसीटीडी की आबकारी नीति को बनाने और कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं से जुड़ा है. हालांकि कोर्ट ने मनीष सिसोदिया को इजाजत दी कि वह अपने परिवार के खर्च और पत्नी के मेडिकल खर्च के लिए क्रमश: 40 हजार और 45 हजार रुपये के चेक साइन कर सकते हैं.
26 फरवरी को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने सिसोदिया को गिरफ्तार किया था. बाद में ईडी ने भी इसी मामले में गिरफ्तार पूर्व डिप्टी सीएम को गिरफ्तार किया था. इससे पहले अदालत ने सिसोदिया की जमानत अर्जी पर सुनवाई 21 मार्च तक के लिए टाल दी थी. आबकारी नीति मामले में सीबीआई भी जांच कर रही है.
आज कोर्ट में हुई पेशी
पिछली सुनवाई के दौरान राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष सीबीआई जज एमके नागपाल ने सिसोदिया को 17 मार्च को दोपहर 2 बजे कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया था. सुनवाई के दौरान, ईडी ने उनकी 10 दिन की हिरासत की मांग करते हुए कहा था कि उन्हें पूरे घोटाले की कार्यप्रणाली का पता लगाने और कुछ अन्य लोगों के साथ सिसोदिया का सामना कराने की जरूरत है.
ईडी के वकील जोहेब हुसैन ने दावा किया था कि सिसोदिया मनी लॉन्ड्रिंग नेक्सस का हिस्सा थे, उन्होंने कहा था कि हवाला चैनलों के जरिए धन की आवाजाही की भी जांच की जा रही है. हुसैन ने कहा कि नीति यह सुनिश्चित करने के लिए तैयार की गई थी कि कुछ निजी संस्थाओं को भारी लाभ मिले और दिल्ली में 30 प्रतिशत शराब कारोबार संचालित करने के लिए सबसे बड़े कार्टेलों में से एक बनाया गया था.
ईडी ने लगाए ये आरोप
रेस्तरां एसोसिएशन और सिसोदिया के बीच हुई बैठकों का हवाला देते हुए ईडी ने आरोप लगाया है कि शराब पीने और अन्य चीजों की कानूनी उम्र को कम करने जैसी आबकारी नीति में रेस्तरां को छूट दी गई थी. केंद्रीय एजेंसी ने तर्क दिया था कि सिसोदिया ने सबूत नष्ट कर दिए हैं. एजेंसी ने दावा किया था कि पूर्व डिप्टी सीएम ने एक साल के भीतर, 14 फोन नष्ट और बदले हैं.
ईडी के वकील ने कहा था, सिसोदिया ने दूसरों के खरीदे गए फोन और सिम कार्ड का इस्तेमाल किया है जो उनके नाम पर नहीं हैं ताकि वह बाद में इसे बचाव के रूप में इस्तेमाल कर सकें. यहां तक कि उनका इस्तेमाल किया गया फोन भी उनके नाम पर नहीं है. ईडी ने आरोप लगाया था कि वह (सिसोदिया) शुरू से ही टालमटोल करते रहे हैं. आबकारी नीति बनाने के पीछे साजिश थी.
ईडी ने अदालत में तर्क दिया था कि साजिश को विजय नायर ने अन्य लोगों के साथ मिलकर समन्वित किया था और आबकारी नीति थोक विक्रेताओं के लिए असाधारण लाभ मार्जिन के लिए लाई गई थी. ईडी ने अदालत को बताया कि जीओएम की बैठक में निजी संस्थाओं को थोक लाभ के 12 प्रतिशत के मार्जिन पर कभी चर्चा नहीं हुई.
सिसोदिया की ओर से दी गई थी ये दलील
सिसोदिया की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन ने कहा था कि जमानत के लिए बहस करनी थी, उन्हें ईडी की ओर से एक बार भी तलब नहीं किया गया. वरिष्ठ अधिवक्ता मोहित माथुर ने भी सिसोदिया का प्रतिनिधित्व किया और कहा था कि इन दिनों यह केवल एक फैशन है कि वह (एजेंसियां) गिरफ्तारी को अधिकार के रूप में लेती हैं.
उन्होंने तर्क दिया था, यह अदालतों के लिए इस अधिकार पर कमी करने का समय है. सिसोदिया के एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता, सिद्धार्थ अग्रवाल ने तर्क दिया कि हमारे देश और हमारी राजनीति में यह कहना इतना आसान है कि मैंने अमुक पदाधिकारी के लिए पैसे लिए. क्या इस आधार पर उस पदाधिकारी को सलाखों के पीछे डाला जा सकता है? यदि ऐसा किया जाता है, तो धारा 19 पीएमएलए बेमानी हो जाएगा.
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