Calcutta High Court Divorce Case: भारत में शादी को एक पवित्र बंधन माना जाता है, लेकिन पिछले कुछ सालों में कुछ आम टकरावों के कारण तलाक के मामलों में तेजी से वृद्धि आई है. कई बार तलाक की वजह बहुत ही अजीबोगरीब होती है. अब एक ऐसा ही मामला पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में आया है, जहां पत्नी के दोस्त और उसके परिवार के लोग पति की मर्जी के खिलाफ उसके घर में रहते थे. इस मामले को लेकर पति कोर्ट पहुंच गया और अब 16 सालों तक केस चलने के बाद कलकत्ता हाई कोर्ट ने तलाक की मंजूरी दे दी है.


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कोर्ट ने माना क्रूरता के दायरे में आता है ये मामला


कलकत्ता हाई कोर्ट (Calcutta High Court) ने माना है कि विवाहित महिला के दोस्तों और परिवार के सदस्यों का उसके पति की इच्छा के खिलाफ उसके घर पर लंबे समय तक रहना क्रूरता के दायरे में आता है. क्रूरता के आधार पर हाई कोर्ट ने 19 दिसंबर को एक व्यक्ति को तलाक की मंजूरी दे दी. कोर्ट ने कहा, 'एक महिला द्वारा अपने पति की इच्छा के खिलाफ उसके घर पर उसके मित्रों और परिवार के सदस्यों को लगातार लंबे समय तक थोपना, खासतौर पर तब जब पत्नी खुद वहां मौजूद नहीं थी, निश्चित रूप से यह क्रूरता के दायरे में आता है. क्योंकि, इससे इससे पति का जीवन असंभव हो सकता है, जो क्रूरता के व्यापक दायरे में आता है.'


पति ने साल 2008 में दी थी तलाक की अर्जी


टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, पति ने शादी के तीन साल बाद साल 2008 में तलाक की अर्जी दाखिल की थी. उनकी शादी पश्चिम बंगाल के नवद्वीप में हुई थी और 2006 में वे कोलाघाट चले गए, जहां पति काम करता था. साल 2008 में पत्नी कोलकाता के नारकेलडांगा शिफ्ट हो गई और दावा किया कि यह उसके वर्कप्लेस सियालदह के करीब था. लेकिन, कोर्स में जिरह के दौरान उसने दावा किया कि वह 'असहाय स्थिति' के कारण बाहर चली गई थी.


फिर भी पति के घर में रह रहे थे पत्नी के परिवार वाले


हालांकि, साल 2008 में पति के कोलाघाट स्थित घर से पत्नी के चले जाने के बाद भी उसका परिवार और एक दोस्त वहीं रहते रहे. इसके बाद साल 2016 में पत्नी उत्तरपाड़ा शिफ्ट हो गी. पति ने इस आधार पर क्रूरता का आरोप लगाया कि वे अलग-अलग रह रहे थे और फिर भी पत्नी के परिवार वाले उसके घर में रह रहे थे. पति ने आरोप लगाया कि वह (पत्नी) वैवाहिक संबंध या बच्चा पैदा करने में दिलचस्पी नहीं रखती थी.