Mathura News: आपको आजम खान की भैंस याद होगी, जिसकी चोरी हो गई थी. यूपी पुलिस ने भैंस को ढूंढने के लिए अभियान चलाया था. कई दिन की मशक्कत के बाद आजम खान की भैंस मिल गई थी, लेकिन वो पुराना मामला था. अब एक बार फिर उत्तर प्रदेश में भैंसें गलती कर बैठी हैं. इतना ही नहीं नगर निगम की टीम ने भैंसों पर कार्रवाई भी की है. आइये आपको पूरा मसला समझाते हैं..


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उत्तर प्रदेश के मथुरा में एक बार फिर भैंसों ने सुर्खियाँ बटोरी हैं. हाल ही में, नगर निगम ने एक अनोखे मामले में कार्रवाई की, जिसमें भैंसों को संरक्षित क्षेत्र में पेड़ों के पत्ते खाने के आरोप में जब्त किया गया. यह घटना एक बार फिर उस पुराने मामले की याद दिलाती है जब पूर्व मंत्री आजम खान की भैंस चोरी हो गई थी और यूपी पुलिस ने उसे ढूंढने के लिए अभियान चलाया था.


मथुरा में कुंभ मेला क्षेत्र के संरक्षण के लिए प्रशासन ने पौधारोपण कराया है. लेकिन कुछ किसान अपनी भैंसों को इस क्षेत्र में छोड़ देते हैं, जो पेड़ों के पत्ते खा जाती हैं. पिछले कुछ दिनों से भैंसें रोज़ाना हरे-भरे पत्ते खाकर अपना पेट भर रही थीं. ऐसा लग रहा था मानो इनकी लॉटरी लग गई हो. लेकिन इन बेजुबानों को यह नहीं पता था कि वे नियमों का उल्लंघन कर रही हैं.


जब नगर निगम प्रशासन को इस बारे में जानकारी मिली तो उन्होंने तुरंत कार्रवाई की. नगर निगम की टीम ने ट्रक लेकर आकर भैंसों को जब्त कर लिया और भैंसों के मालिक पर कई धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई. नगर निगम का कहना है कि इस कार्रवाई का उद्देश्य पेड़ों को हो रहे नुकसान को रोकना है.


जब्त की गई भैंसों को कान्हा गौ आश्रय सदन में रखा गया है, जबकि उनके मालिक अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर काटकर अपनी भैंसों को छुड़ाने का प्रयास कर रहे हैं. यह स्थिति यह दर्शाती है कि प्रशासन ने छोटे-छोटे मामलों को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया है.


इस मामले की चर्चा में एक और महत्वपूर्ण पहलू सामने आया है. जिन पुलिस थानों में लोग अपनी शिकायत दर्ज कराने के लिए दर-दर भटकते हैं, वहां गाय और भैंस के मामलों में एफआईआर दर्ज हो जाती हैं. इसी तरह के छोटे मामलों के कारण देश की अदालतों में पेंडिंग केसों की संख्या तेजी से बढ़ रही है.


हाल ही में दिए गए आंकड़ों के अनुसार, देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट में 83 हजार से अधिक केस पेंडिंग हैं, जबकि हाईकोर्ट में पेंडिंग केसों की संख्या 59 लाख तक पहुंच गई है. यह आंकड़ा इस बात की पुष्टि करता है कि अदालतों में छोटे-छोटे मामलों का पहाड़ कितना बड़ा हो गया है.


इस घटना ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि स्थानीय प्रशासन अब छोटे मामलों को भी गंभीरता से ले रहा है. वहीं, यह भी दर्शाता है कि न्यायपालिका में पेंडिंग केसों की समस्या भी बहुत गंभीर है. भले ही भैंसों की इस कार्रवाई को हल्के में लिया जा रहा हो, लेकिन इसके पीछे एक बड़ी तस्वीर छिपी हुई है जो हमें सोचने पर मजबूर करती है.