Shahi Idgah Survey Commission Format: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad HC) में शाही ईदगाह सर्वे (Shahi Idgah Survey) को लेकर आज अहम सुनवाई है. आज इलाहाबाद हाईकोर्ट शाही ईदगाह के सर्वे का प्रारूप तय करेगा. आज दोपहर 2 बजे हाईकोर्ट तय करेगा कि शाही ईदगाह का सर्वे कब और कैसे होगा. कौन-कौन इस सर्वे में शामिल होगा? कितने लोगों की टीम बनेगी? जान लें कि मथुरा में शाही ईदगाह के सर्वे को पहले ही मंजूरी मिल चुकी है. हिंदू पक्ष ने दावा किया है कि शाही ईदगाह परिसर को मंदिर तोड़कर बनाया गया है. उसमें देवी-देवताओं की मूर्तियां और तमाम हिंदू कलाकृतियों के सबूत हैं.


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श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद क्या है?


बता दें कि मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह का पूरा विवाद 13.37 एकड़ जमीन को लेकर है. इसमें से श्रीकृष्ण जन्मस्थान के पास 10.9 एकड़ जमीन और 2.5 एकड़ जमीन शाही ईदगाह मस्जिद के पास है. जमीन का ये बंटवारा 1968 के समझौते के आधार पर हुआ था, लेकिन ये समझौता भी अब विवादों में है. हिंदू पक्ष का दावा है कि जिस जमीन पर शाही ईदगाह की मस्जिद है, वहां पहले हिंदुओं का मंदिर था जिसको तुड़वाकर औरंगजेब ने मस्जिद बनवाई थी.


क्या है हिंदू पक्ष का दावा?


हिंदू पक्ष का दावा है कि शाही ईदगाह मस्जिद, वो जगह है जहां पर कंस की जेल में माता देवकी ने भगवान श्रीकृष्ण को जन्म दिया था. यानी शाही ईदगाह मस्जिद श्रीकृष्ण जन्मभूमि के ऊपर बनी हुई है. हिंदू पक्ष की मांग है कि उसे इस पूरी यानी 13.37 एकड़ जमीन पर मालिकाना हक दिया जाए. इसको लेकर 25 सितंबर 2020 को मथुरा कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. हालांकि, कोर्ट ने Places Of Worship Act 1991 को आधार मानकर इसे खारिज कर दिया था.


शाही ईदगाह सर्वे की क्यों हो रही मांग?


गौरतलब है कि हिंदू पक्ष को उम्मीद है कि जिस तरह से वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर का सर्वे हुआ है. जिसमें तमाम सबूत मिलने की बात कही गई. उसी तरह जब शाही ईदगाह का सर्वे होगा तो कलई खुल जाएगी. इससे साफ हो जाएगा कि आखिर असलियत क्या है और दावों का सच सामने आ जाएगा.