Maulana Arshad Madani on Mob Lynching: जमीयत उलेमा-ए-हिंद (एएम समूह) के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने भीड़ हत्या (मॉब लिंचिंग) को ‘राजनीतिक समस्या’ बताया है. मदनी का कहना है कि भीड़ हत्या सामाजिक नहीं बल्कि राजनीतिक समस्या है. उन्होंने ‘धर्मनिरपेक्ष दलों’ से इसके खिलाफ कानून बनाने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव डालने की अपील की है. 


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'सामाजिक नहीं, एक राजनीतिक समस्या'


मौलाना मदनी ने यह टिप्पणी उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ और छत्तीसगढ़ के रायपुर में भीड़ की ओर से पीटकर हुई हत्या की हालिया घटनाओं के संदर्भ में की. जमीयत उलेमा संगठन की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक, मदनी ने कहा कि भीड़ द्वारा पीटकर हत्या करना “सामाजिक नहीं, एक राजनीतिक समस्या है और इसे राजनीतिक रूप से ही हल किया जा सकता है.”


'सेक्युलर दल' सरकार पर दबाव डालें


उन्होंने कहा कि इसलिए स्वयं को धर्मनिरपेक्ष कहने वाले दल इसके खिलाफ खुलकर अपनी आवाज़ बुलंद करें और भीड़ द्वारा हत्या किए जाने के खिलाफ कानून बनाने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव डालें. मदनी ने यह भी कहा कि हाल के लोकसभा चुनाव में देश के अधिकतर लोगों ने सांप्रदायिकता और नफरत की राजनीति को नकार कर दिया है. हालांकि पिछले कुछ वर्षों से लोगों के दिल-ओ-दिमाग में नफरत का जो ज़हर भरा गया है वो पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है और छत्तीसगढ़ तथा अलीगढ़ की ये घटनाएं इसका प्रमाण हैं. 


'सुप्रीम कोर्ट के आदेश का नहीं हुआ पालन'


उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने 17 जुलाई 2018 को संसद से अलग से कानून बनाने को कहा था, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. मदनी ने केंद्र और राज्य सरकारों पर भीड़ हत्या की घटना को लेकर गंभीर नहीं होने का आरोप लगाया. अलीगढ़ के मामू-भांजा इलाके में चोरी के शक में मंगलवार रात भीड़ द्वारा फरीद (35) नामक व्यक्ति की बुरी तरह से पिटाई की गई थी, जिससे उसकी मौत हो गई थी. पुलिस ने इस बाबत छह लोगों को गिरफ्तार किया है. 


छत्तीसगढ़ में तीन लोगों की हो गई थी मौत


इस महीने की सात तारीख को छत्तीसगढ़ के रायपुर और महासमुंद जिले की सीमा में स्थित आरंग इलाके में मवेशियों से भरे वाहन में सवार लोगों पर कथित रूप से भीड़ ने हमला कर दिया था जिसमें तीन लोगों -- गुड्डू खान (35) और चांद मिया खान (23) और सद्दाम कुरैशी (25) की मौत हो गई थी. तीनों उत्तर प्रदेश के निवासी थे. 


(भाषा)