नई दिल्ली: आमतौर पर जब हम लोग पर्यावरण को लेकर बेहद उदासीन रवैया अपना रहे हैं, 8 वर्षीय लिसीप्रिया कंगुजम (Lisipria Kangjujam) हमारा ध्यान धरती को बचाने की ओर खींच रही हैं. मणिपुर (Manipur) की रहने वाली कंगुजम को भारत की ग्रेट थनबर्ग (Greta Thanberg') कहा जा रहा है. ग्रेटा भी बेहद कम उम्र से पर्यावरण संरक्षण की आवाज उठाती रही हैं. 


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संसद के बाहर हाथ में पर्यावरण को बचाने की अपील
लिसीप्रिया की ओर दुनिया का ध्यान तब गया जब कुछ दिन पहले संसद के बाहर हाथ में पर्यावरण को बचाने की अपील करने वाली तख्ती लिए उन्हें एक महिला पुलिसकर्मी ने रोका. अपने इस अभियान में अकेली लिसीप्रिया ने इस तख्ती में पर्यावरण संरक्षण के लिए कानून बनाने की मांग की थी. कंगुजम ने बताया कि धरती को बचाने के रास्ते खोजने की खातिर बड़ी होने पर वह अकेले चांद पर जाना चाहती हैं. उनकी इच्छा है कि वह वहां पर यह खोज सकें कि लोगों को सांस लेने के लिए ताजी हवा, पीने के लिए स्वच्छ पानी और खाने के लिए भोजन कैसे मिले.


दुनिया की सबसे छोटी पर्यावरणविदों में एक 
दुनिया की सबसे छोटी पर्यावरणविदों में से एक लिसीप्रिया के मन में धरती को बचाने के लिए अभियान चलाने का विचार तब आया जब उन्होंने नेपाल में भूकंप से हुई तबाही के बारे में जाना. वर्ष 2015 में आए इस भूकंप में करीब नौ हजार लोगों की जान गई थी और 10 लाख के करीब घर मिट्टी में मिल गए थे. लिसीप्रिया तब चार साल की थीं और पीड़ितों को राहत पहुंचाने के लिए उन्होंने अपने पिता के साथ धन जुटाया था.


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पीएम मोदी उनकी इस मांग पर ध्यान दें 
अब वह चाहती हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Primie Minister Narendra Modi) उनकी इस मांग पर ध्यान दें साथ ही संसद देश में कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए कानून बनाए. ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन  में भारत का दुनिया में तीसरा स्थान है. संसद के बाहर कंगुजम ने कहा कि मैं अपने ग्रह और भविष्य को बचाने की लड़ाई लड़ रही हूं. उन्होंने कहा कि अगर समय रहते ध्यान न दिया गया तो हमारा ग्रह खत्म हो जाएगा. कंगुजम ने बताया कि स्कूल जाने वाले और छोटे-छोटे बच्चों की सेहत को लेकर भी वह फिक्रमंद हैं