Jammu Kashmir News: पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की संरक्षक महबूबा मुफ्ती ने जम्मू-कश्मीर में सैटेलाइट टाउनशिप की जरूरत पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने जानना चाहा कि इन टाउनशिप में कौन रहेगा. मुफ्ती ने कहा, 'अगर टाउनशिप श्रीनगर शहर में भीड़भाड़ कम कर रही है, जहां एक ही घर में चार या उससे अधिक परिवार रहते हैं, तो यह स्वागत योग्य कदम है, लेकिन सरकार इसके कार्यान्वयन पर चुप क्यों है.'


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मुफ्ती ने श्रीनगर रिंग रोड के साथ 30 उपग्रह टाउनशिप बनाने के सरकार के प्रस्ताव पर चिंता जताई. इस परियोजना के लिए लगभग 1.2 लाख कनाल (15,000 एकड़) भूमि की जरूरत होगी. जो मुख्य रूप से प्रमुख कृषि और बागवानी क्षेत्र हैं. PDP चीफ ने स्थानीय किसानों पर प्रतिकूल प्रभाव को उजागर किया, विशेष रूप से बडगाम जिले में, जहां 17 गांवों के काफी प्रभावित होने की उम्मीद है.


'आजीविका को खतरे में डाल रहा प्रोजेक्ट'


उन्होंने जोर देकर कहा कि शहरी विकास के लिए उपजाऊ भूमि का अधिग्रहण कृषि और बागवानी पर निर्भर लोगों की आजीविका को खतरे में डालता है, जो कश्मीर की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं. मुफ्ती ने कहा, 'यह एक भूमि-घाटे वाला क्षेत्र है, और इस तरह की योजनाएं श्रीनगर मास्टर प्लान और सरकार की भूमि-उपयोग नीति का उल्लंघन करती हैं.'


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श्रीनगर में पार्टी कार्यालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, उन्होंने कहा कि जम्मू और कश्मीर अपने लुभावने परिदृश्य, प्राकृतिक सुंदरता और समृद्ध संसाधनों के लिए प्रसिद्ध है. यह दुनिया भर से आगंतुकों को आकर्षित करता है. महबूबा ने रिंग रोड के निर्माण, रेलवे नेटवर्क के विस्तार और 30 नए टाउनशिप के विकास सहित बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचा परियोजनाओं से होने वाले संभावित नुकसान पर चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा, 'ये परियोजनाएं प्रगति के उद्देश्य से हैं, लेकिन कश्मीर घाटी की अद्वितीय सुंदरता को नष्ट करने का जोखिम उठा रही हैं.'


'विकास, विरासत की कीमत पर न हो'


मुफ्ती ने उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली सरकार से इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाने को कहा, क्योंकि यह उनके अधिकार क्षेत्र में आता है. उन्होंने प्रशासन से विकास को पर्यावरण संरक्षण के साथ संतुलित करने और यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि कोई भी प्रगति कश्मीर की प्राकृतिक और सांस्कृतिक विरासत की कीमत पर न हो. उन्होंने क्षेत्र की पहचान की रक्षा के लिए पर्यावरणविदों, शहरी योजनाकारों और सामुदायिक प्रतिनिधियों सहित स्थानीय हितधारकों के साथ समावेशी चर्चा की आवश्यकता पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा, 'यह मौजूदा सरकार की जिम्मेदारी है कि वह सतत और लोगों के अनुकूल विकास को प्राथमिकता दे.'


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