अगर ऐसा हुआ तो.. हो जाएगा 1947 जैसा विभाजन, धर्मनिरपेक्षता की आड़ में महबूबा के बिगड़े बोल
Secularism in India: महबूबा मुफ्ती ने देश के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को बनाए रखने के लिए ऐतिहासिक नेताओं जवाहरलाल नेहरू, महात्मा गांधी, मौलाना अबुल कलाम आजाद और सरदार पटेल के योगदान को याद किया. उन्होंने कहा कि हिंदू-मुसलमानों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करना देश के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है.
Mehbooba Mufti Warns of 1947: पीडीपी प्रमुख और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने देश में धर्मनिरपेक्षता की कमजोर होती नींव को लेकर गंभीर चिंता जाहिर की है. लेकिन इस बीच उनके बोल बिगड़ गए. उन्होंने कहा कि अगर यही स्थिति बनी रही, तो देश एक बार फिर 1947 जैसे विभाजन की ओर बढ़ सकता है. मुफ्ती ने भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ के एक फैसले को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया, जिसके कारण मस्जिदों में तलाशी की घटनाएं हो रही हैं.
सरकारी प्राथमिकताओं पर सवाल
मुफ्ती ने कहा कि सरकार विकास, रोजगार और शिक्षा जैसे असली मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए धार्मिक स्थलों को निशाना बना रही है. उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद मामले का जिक्र करते हुए कहा कि पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने ऐसा फैसला सुनाया, जिसके बाद से हर मस्जिद में शिवलिंग ढूंढने की कोशिश हो रही है. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर यही हालात जारी रहे, तो यह न केवल सामाजिक ताने-बाने को कमजोर करेगा, बल्कि देश को हिंसा और खूनखराबे की ओर ले जाएगा.
अजमेर शरीफ मामले पर आपत्ति
मुफ्ती ने अजमेर शरीफ दरगाह का उदाहरण देते हुए कहा कि यह स्थान हिंदुओं और मुसलमानों दोनों के लिए पवित्र है. उन्होंने चिंता जताई कि अब इस ऐतिहासिक दरगाह को भी विवादों में घसीटा जा रहा है. हाल ही में अजमेर की एक अदालत ने दरगाह का भौतिक सर्वेक्षण कराने की याचिका पर नोटिस जारी किया, जिससे धार्मिक सौहार्द बिगड़ने की आशंका बढ़ गई है.
धर्मनिरपेक्षता की बुनियाद को बचाने की अपील
महबूबा मुफ्ती ने देश के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को बनाए रखने के लिए ऐतिहासिक नेताओं जवाहरलाल नेहरू, महात्मा गांधी, मौलाना अबुल कलाम आजाद और सरदार पटेल के योगदान को याद किया. उन्होंने कहा कि हिंदू-मुसलमानों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करना देश के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है. मुफ्ती ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह जनता को बुनियादी सुविधाएं देने में नाकाम रही है और धार्मिक विवादों को बढ़ावा देकर असली समस्याओं से ध्यान भटका रही है.