श्रीनगर: पीडीपी की मुखिया महबूबा मुफ्ती ने बुधवार को जम्मू कश्मीर के गवर्नर सत्यपाल मलिक को पत्र लिखकर सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया है. महबूबा ने पत्र के जरिये मांग की है कि उन्हें सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया जाए. महबूबा ने अपने पत्र में लिखा है कि कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने पीडीपी को सरकार बनाने के लिए समर्थन देने का निर्णय लिया है. सूत्रों के अनुसार, जम्‍मू-कश्‍मीर में बीजेपी को रोकने के लिए धुर विरोधी महबूबा मुफ्ती और उमर अब्‍दुल्‍ला, कांग्रेस के साथ हाथ मिला लिया है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

 


फोटो : ANI 

 


पीडीपी नेता बुखारी ने किया था समर्थन मिलने का दावा
विपक्षी महागठबंधन की चर्चाओं के बीच जम्‍मू-कश्‍मीर में बीजेपी को रोकने के लिए धुर विरोधी महबूबा मुफ्ती और उमर अब्‍दुल्‍ला ने कांग्रेस के साथ हाथ मिला लिया है. पीडीपी नेता अल्‍ताफ बुखारी ने बुधवार को यह दावा किया था कि हमारे गठबंधन के पास राज्‍य की 87 सदस्‍यीय विधानसभा में 60 विधायकों का समर्थन है और सरकार बनाने को लेकर सहमति हो गई है. उन्‍होंने कहा कि इसकी औपचारिक घोषणा जल्द ही होगी.


2002 जैसे बन रहे हैं समीकरण
सूत्रों के मुताबिक, महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीपुल्‍स डेमोक्रेटिक पार्टी(पीडीपी) के नेता अल्‍ताफ बुखारी इस महागठबंधन के मुख्‍यमंत्री पद का चेहरा हो सकते हैं. कह जा रहा है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां), पीडीपी को बाहर से समर्थन दे सकती है. राज्य में 2002 जैसे समीकरण बन रहे हैं. उस वक्त भी पीडीपी-कांग्रेस ने मिलकर सरकार बनाई थी और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने बाहर से समर्थन दिया था. यह सरकार पांच साल चली थी.


हालांकि इस बारे में कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा था कि बातचीत चल रही है, लेकिन अभी यह सरकार बनाने के स्‍तर तक नहीं पहुंची है. उन्‍होंने कहा कि हम लोग यह चर्चा कर रहे हैं कि सभी विपक्षी दल एक साथ आकर सरकार क्‍यों नहीं बनाते? इस मामले में चर्चा जारी है.


इसी साल जून में टूटा था बीजेपी और पीडीपी का गठबंधन
जम्मू-कश्मीर में इससे पहले मार्च 2015 में पीडीपी और भाजपा ने गठबंधन सरकार बनाई थी. पहले मुफ्ती मोहम्मद सईद मुख्यमंत्री रहे. उनके निधन के बाद महबूबा मुफ्ती सीएम बनीं. यह गठबंधन सरकार इस साल जून तक चली. अभी वहां राज्यपाल शासन लागू है. 19 दिसंबर को राज्यपाल शासन के छह महीने पूरे हो जाएंगे. नियमों के मुताबिक, इसे दोबारा नहीं बढ़ाया जा सकता. इसके बाद राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है, लेकिन उसके लिए विधानसभा भंग करनी होगी.


सज्‍जाद लोन
जम्‍मू-कश्‍मीर में सियासी हालात इसलिए तेजी से बदल रहे हैं क्‍योंकि मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बीजेपी के समर्थन से पीपुल्‍स कांग्रेस के नेता सज्‍जाद लोन एक तीसरा मोर्चा बनाने की कोशिशों में हैं. इसमें पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस के असंतुष्‍ट विधायकों को शामिल किया जा सकता है. बीजेपी के 26 विधायक हैं और सज्‍जाद लोन की पार्टी पीपुल्‍स कांग्रेस के दो विधायक हैं.


विधानसभा का गणित
87 सदस्‍यीय विधानसभा में पीडीपी के 28 विधायक, कांग्रेस के 12 और नेशनल कांफ्रेंस के 15 विधायक हैं. सदन में बहुमत का आंकड़ा पाने के लिए 44 विधायकों के समर्थन की दरकार है.