Kottankulangara Chamayavilakku 2023: कोल्लम (Kollam ) के चावरा में प्रसिद्ध कोट्टानकुलंगरा देवी मंदिर (Kottankulangara Devi temple) में पारंपरिक अनुष्ठान के हिस्से के रूप में, इस साल रविवार को समाप्त होने वाले त्योहार के अंतिम दो दिनों में हजारों पुरुष, महिलाओं के रूप में तैयार होते हैं. इसके पीछे की मान्यता ये है कि यदि पुरुष 19 दिनों तक चलने वाले वार्षिक मंदिर उत्सव के अंतिम दो दिनों में महिलाओं के रूप में तैयार होते हैं, तो स्थानीय देवता प्रसन्न होते हैं और उनकी मनोकामना पूरी करते हैं.


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Kottankulangara Festival-कोट्टनकुलंगरा चमायविलक्कू


पिछले कुछ सालों में, अपने रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ आने वाले पुरुषों की संख्या में वृद्धि हुई है और 10000 का आंकड़ा पार कर लिया गया है. इस विशेष घटना को कोट्टनकुलंगरा चमायविलक्कू कहा जाता है.


कैसे हुई शुरुआत


सबसे लोकप्रिय कहानी के अनुसार, परंपरा की शुरूआत लड़कों के एक समूह द्वारा की गई थी, जो गायों को पालते थे और लड़कियों के रूप में तैयार होते थे. फूल और 'कोटन' (नारियल से बनने वाली डिश) चढ़ाते थे. एक दिन देवी एक लड़के के सामने प्रकट हुईं. इसके बाद, देवी की पूजा करने के लिए महिलाओं के रूप में पुरुषों के कपड़े पहनने की रस्म शुरू हुई.


आकार में बढ़ रहा है देवताओं का स्वरूप


पत्थर को देवता माना जाता है. एक मान्यता यह भी है कि पत्थर सालों से आकार में बढ़ता जा रहा है. अब जब यह अनुष्ठान बेहद लोकप्रिय हो गया है, तो यह त्योहार विभिन्न धर्मों के लोगों को आकर्षित करता है और उनमें से बड़ी संख्या लोग केरल के बाहर से आते हैं.


'मन्नत पूरी होने से पहले मिली शांति'


तमिलनाडु के एक युवक शेल्डन ने कहा, मैं कुछ सालों से इस अनुष्ठान के बारे में सुन रहा था और मैं आना चाहता था और आखिरकार मैं इस साल आ गया. एक महिला के रूप में तैयार होने के बाद, मुझे लगा कि मैंने वह हासिल कर लिया है जिसकी मैं कुछ समय से योजना बना रही थी.


अनुष्ठान में भाग लेने के लिए सबसे शुभ समय 2 बजे से 5 बजे के बीच है. पारंपरिक साड़ी में सजे-धजे पुरुषों को शाम के समय दीपक ले जाते हुए भारी संख्या में देखा जा सकता है. पुरुषों को महिलाओं या लड़कियों के रूप में तैयार होने के लिए दीपक ले जाना पड़ता है, जो किराए पर उपलब्ध हैं, लेकिन उन्हें अपनी पोशाक लेनी पड़ती है. अगर किसी को मदद की जरूरत है, तो उसकी मदद के लिए यहां ब्यूटीशियन हैं. जब त्योहार रविवार को समाप्त होगा, तो हजारों लोग आशा और खुशी से भरे हुए लौटेंगे.


(इनपुट: भाषा)


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