कोलकाता: पश्चिम बंगाल में बीते पांच दिनों से प्रदर्शन कर रहे जूनियर डॉक्टरों ने शनिवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की राज्य सचिवालय में बातचीत की अपील को ठुकराते हुए कहा कि वे अपनी सुरक्षा को लेकर डरे हुए हैं. उन्होंने आंदोलन खत्म करने से भी इनकार कर दिया. ममता ने राज्य में स्वास्थ्य सेवाएं चरमराने के बाद आंदोलनकारियों से दोबारा काम शुरू करने का आग्रह करते हुए कहा कि उनकी सरकार ने डॉक्टरों की सभी मांगें मान ली है. 


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गृह मंत्रालय ने इस मुद्दे पर परामर्श जारी करते हुए आंदोलन को लेकर रिपोर्ट मांगी है, लेकिन ममता बनर्जी ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ऐसे परामर्श उत्तर प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों को भेजे जाने चाहिये जहां बीते दो सालों में हत्याओं के कई मामले सामने आए हैं. पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी ने ममता को पत्र लिखकर डॉक्टरों को तुरंत सुरक्षा मुहैया कराने और इस गतिरोध का समाधान निकालने की सलाह दी है. 


इसके बाद ममता ने कहा कि उन्होंने राज्यपाल से बात कर उन्हें गतिरोध को खत्म करने के लिये राज्य सरकार की ओर से उठाए जा रहे कदमों की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के पांच दिन बीत जाने के बावजूद 'एस्मा' लागू नहीं किया है. 


ममता ने शनिवार शाम पांच बजे होने वाली बैठक में आंदोलनकारियों के नहीं पहुंचने के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा, "हमारे पास कानून है, लेकिन हम कोई ऐसा कदम नहीं उठा रहे हैं जिससे किसी भी आंदोलनकारी जूनियर डॉक्टर और उसके करियर को नुकसान पहुंचे." 


 



प्रदर्शनकारी डॉक्टरों से काम पर लौटने की मुख्यमंत्री की अपील के बाद जूनियर डॉक्टरों के संयुक्त मंच के एक प्रवक्ता ने कहा, "हमलोग ड्यूटी पर लौटने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं लेकिन मुख्यमंत्री की ओर से इसका (मौजूदा समस्या का) समाधान निकालने के लिए कोई ईमानदार पहल नहीं की गई है."


प्रदर्शनरत जूनियर डॉक्टरों ने बनर्जी के उस दावे को भी खारिज किया कि उनके कुछ सहकर्मी उनसे मिलने के लिए राज्य सचिवालय गए थे. उन्होंने कहा, "संवाददाता सम्मेलन में मुख्यमंत्री ने जो कुछ भी कहा है उसमें कोई सच्चाई नहीं है. कोई भी जूनियर डॉक्टर उनसे मिलने के लिये नहीं गया था. वह दावा कर रही हैं कि हम लोग समाधान निकालने और बातचीत के खिलाफ हैं... लेकिन हम चाहते हैं कि वह नील रतन सरकार मेडिकल कॉलेज अस्पताल आयें और हमें सुनें तथा बीमार लोगों की सेवा के लिये जरूरी कदम उठाए." इससे पहले बनर्जी ने राज्य सचिवालय में मीडिया को संबोधित करते हुए दावा किया था कि कुछ जूनियर डॉक्टर उनसे मिलने के लिए सचिवालय आए थे. हालांकि वह पत्रकारों से बातचीत बीच में छोड़ कर चली गई थीं.