नई दिल्ली: गृह मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों में भर्ती के लिए धर्म कोई पैमाना नहीं है. गृह मंत्रालय का बयान एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी द्वारा केंद्र पर मुसलमानों की उपेक्षा करने का आरोप लगाने के बाद आया है. ओवैसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग की थी कि वह बताएं कि कितने मुस्लिमों को केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों समेत अन्य क्षेत्रों में सरकारी नौकरियां मिली हैं. 


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गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा , ‘अर्द्धसैनिक बलों में भर्ती के लिए धर्म पैमाना नहीं है. भर्ती प्रक्रिया में किसी धर्म के लिए कोई गुंजाइश नहीं है.'  बता दें सीआरपीएफ , बीएसएफ , सीआईएसएफ , आईटीबीपी , एसएसबी , एनएसजी और असम रायफल्स केंद्रीय अर्द्धसैनिक बल हैं और ये गृह मंत्रालय के मातहत काम करते हैं. इनकी कुल क्षमता करीब 10 लाख है. 


क्या कहा था ओवैसी ने ?
हैदराबाद में किए गए संवाददाता सम्मेलन में ओवैसी ने पूछा था , ‘बीते चार बरस में केंद्र के तहत आने वाले क्षेत्रों चाहे वे बैंक हों , रेलवे हो, केंद्रीय अर्द्धसैनिक बल हों ... कितने अल्पसंख्यकों को भर्ती किया गया.’ 


ओवैसी ने कहा कि प्रधानमंत्री के 15 सूत्री कार्यक्रम में स्पष्ट रूप से यह कहा गया है कि केंद्र सरकार की नौकरियों में अल्पसंख्यकों की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए तमाम कोशिशें की जाएंगी , लेकिन इसके बावजूद इसे लेकर शायद ही कुछ किया गया. 


ओवैसी ने कहा , ‘सीआरपीएफ , सीआईएसएफ , आईटीबीपी , ये सब केंद्र सरकार के अधीन आते हैं. आप (भाजपा) पिछले चार साल से सत्ता में हैं. प्रधानमंत्री चीख चीखकर दावा करते हैं कि वह एक हाथ में कुरान और दूसरे में कंप्यूटर देना चाहते हैं. तो आपने पिछले चार सालों में (मुसलमानों के लिए) क्या किया ?’ उन्होंने कहा , ‘पिछले चार साल में केंद्रीय क्षेत्र में चाहे वह बैंक हों या रेलवे या फिर केंद्रीय अर्द्धसैनिक बल, कितने अल्पसंख्यकों की भर्ती की गईं ?’


(इनपुट - भाषा)