TMC MP Mimi Chakraborty Resigns: पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) को बड़ा झटका देते हुए, जादवपुर से लोकसभा सांसद मिमी चक्रवर्ती ने गुरुवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया. चक्रवर्ती ने पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी को अपना इस्तीफा सौंपा है. सूत्रों के अनुसार, चक्रवर्ती अपने निर्वाचन क्षेत्र में टीएमसी के स्थानीय नेतृत्व से काफी नाराज थीं. उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें पार्टी के स्थानीय नेताओं से पर्याप्त समर्थन नहीं मिल रहा था.


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हालांकि मिमी चक्रवर्ती ने अपना इस्तीफा लोकसभा अध्यक्ष को नहीं सौंपा है. इसका मतलब है कि तकनीकी रूप से उन्होंने अभी तक अपना पद नहीं छोड़ा है. यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि चक्रवर्ती राजनीति से पूरी तरह से संन्यास लेंगी या किसी अन्य पार्टी में शामिल होंगी. 2019 के लोकसभा चुनाव में चक्रवर्ती ने भाजपा उम्मीदवार को हराकर जादवपुर सीट से जीत हासिल की थी.


मिमी चक्रवर्ती ने अपने बयान में कहा है कि राजनीति मेरे लिए नहीं है. अगर आप किसी की मदद कर रहे हैं तो आपको यहां राजनीति में किसी को बढ़ावा देना होगा. एक राजनेता होने के अलावा, मैं एक अभिनेत्री के रूप में भी काम करती हूं. मेरी समान जिम्मेदारियां हैं. यदि आप राजनीति में शामिल होते हैं , आपकी आलोचना की जाती है चाहे आप काम करें या नहीं. मैंने अपने मसलों के बारे में ममता बनर्जी से बात की है. मैंने 2022 में भी उनसे इस बारे में बात की थी, उन्होंने उस समय इसे खारिज कर दिया था. 


जलपाईगुड़ी की बेटी: मिमी चक्रवर्ती, जिनका जन्म 11 फरवरी 1989 को पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी में हुआ था, आज बंगाली इंडस्ट्री का एक जाना-माना नाम हैं. 2012 में फिल्म "चैंपियन" से अपने करियर की शुरुआत करने वाली मिमी ने अब तक 25 से अधिक सफल फिल्मों में काम किया है.


सिनेमा से राजनीति तक: अपनी लोकप्रियता के दम पर मिमी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में राजनीति में प्रवेश किया. तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने उन्हें जादवपुर सीट से उम्मीदवार बनाया. उन्होंने अनुपम हाजरा को लगभग 2 लाख 95 हजार वोटों के भारी अंतर से हराया और सीपीएम को तीसरे स्थान पर धकेल दिया. मिमी चक्रवर्ती का यह चुनाव जीतना बंगाली फिल्म इंडस्ट्री से लेकर राजनीतिक गलियारों तक चर्चा का विषय बन गया था.


चुनावी जीत: मिमी का मुकाबला भारतीय जनता पार्टी के अनुपम हाजरा और सीपीएम के विकास रंजन भट्टाचार्य से था. मिमी ने अपनी लोकप्रियता, ममता बनर्जी के नेतृत्व और "सोनार बांग्ला" के सपने के दम पर भारी जीत हासिल की. उन्होंने भाजपा उम्मीदवार को 2 लाख 95 हजार वोटों के भारी अंतर से हराया.