शोएब रज़ा/नई दिल्ली: 'सबका साथ-सबका विकास' के साथ सत्ता में आई मोदी सरकार अल्पसंख्यक छात्रों को शिक्षा के मैदान में आगे बढ़ाने के लिए लगातार कोशिश कर रही है. सरकार ने पिछले तीन सालों में डेढ़ करोड़ से ज्यादा अल्पसंख्यक छात्रों को छात्रवृत्ति दी जा चुकी है, ताकि वो प्रोफेशलन शिक्षा में अपने कदम जमा सकें. सरकार ने संसद में इसकी जानकारी दी. अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय अल्पसंख्यक छात्रों के लिए कई स्कीम चलाता है, इनमें प्री-मेट्रिक, पोस्ट मेट्रिक और मेरिट कम मीन्स स्कीम अहम हैं. 


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अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने राज्यसभा में बताया कि उसकी तरफ से 2015 -16 से 2018-19 तक 1 करोड़ 64 लाख 90 हज़ार 966 अल्पसंख्यक छात्रों को छात्रवृत्ति दी गई है. अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने राज्यसभा में बताया कि 2015-16 में प्री-मेट्रिक छात्रवृत्ति के तहत 69,82,276 आवेदन मिले, जिनमें से 51,78,779 छात्रों को छात्रवृत्ति दी गई. जबकि, 2015-16 में ही पोस्ट मेट्रिक छात्रवृत्ति के तहत 17,30,089 छात्रों के फार्म आए और मंत्रालय ने 6,66,840 छात्रों को छात्रवृत्ति दी गई थी. वहीं, मेरिट कम मीन्स स्कीम के तहत 2015-16 में 2,62,829 आवेदन आए और 1,33,582 छात्रों को छात्रवृत्ति दी गई.


बता दें कि 2016-17 में प्री मेट्रिक छात्रवृत्ति के तहत 86,35,428 छात्रों ने आवेदन किए जिनमें से 41,53,524 छात्रों को छात्रवृत्ति दी गई. 2016-17 में ही पोस्ट मेट्रिक स्कीम के तहत 18,0,3649 आवेदन आए और मंत्रालय ने 6,24,690 छात्रों को छात्रवृत्ति दी. वहीं, मेरिट कम मीन्स स्कीम के तहत 2,80,639 छात्रों ने आवेदन किए गए और इनमें से 1,21,858 छात्रों को छात्रवृत्ति दी गई.


2017-18 में प्री मेट्रिक स्कीम के तहत 96,50,248 छात्रों ने आवेदन किए इसमें से मंत्रालय ने 48,74,220 छात्रों को छात्रवृत्ति दी. पोस्ट मेट्रिक स्कीम के तहत 2017-18 में 17,35,599 आवेदन आए और 6,21,321 छात्रों को छात्रवृत्ति दी गई. वहीं, मेरिट कम मीन्स स्कीम के तहत 2017-18 में 2,49,230 आवेदन आए और 1,16,452 छात्रों को छात्रवृत्ति दी गई. इस तरह से पिछले तीन साल में डेढ़ करोड़ से ज्यादा अल्पसंख्यक छात्रों को छात्रवृत्ति दी गई. सरकार ने ये भी कहा कि उन्होंने इन स्कीमों का लाभ पाने वाले छात्रों के लिए आसान नियम बनाए है और एप्लिकेशन देने से लेकर छात्रवृत्ति मिलने तक का पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन और पारदर्शी है.