SC Quota: धर्मांतरण करने वालों को मिलेगा आरक्षण? सरकार ने बनाई कमिटी
SC Quota: केंद्र सरकार ने अनुसूचित जाति ( Schedule Caste Religion) का दर्जा देने के लिए जी बालकृष्णन कमिटी (G. Balakrishnan Committee ) का गठन कर दिया है. ये आयोग उन लोगों को अनुसूचित जाति का दर्जा देने के मामले पर काम करेगा, जो ऐतिहासिक रूप से अनुसूचित जाति से संबंध रखते हैं, लेकिन जिन्हें अभी तक SC कोटे का फायदा नहीं मिल रहा है.
Scheduled Caste Converted to Buddhism: हाल ही में केंद्र सरकार ने भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश के. जी. बालकृष्णन की अध्यक्षता में एक आयोग गठित कर दिया है. ये आयोग उन लोगों को अनुसूचित जाति (SC) कोटा देने के मामले पर रिपोर्ट तैयार करेगा. जो एतिहासिक रूप से अनुसूचित जाति के हैं, लेकिन उन्होंने कोई दूसरा धर्म अपना लिया है. आपको बता दें कि संविधान (एससी) आदेश, 1950 के मुताबिक, हिंदू, सिख या बौद्ध धर्म के लोगों को ही अनुसूचित जाति का दर्जा मिलता है. इसके अलावा किसी दूसरे धर्म को मानने वाले व्यक्ति को अनुसूचित जाति का सदस्य नहीं माना जाता है. मुस्लिम और ईसाई धर्म के लोग कई बार दलितों के लिए समान स्थिति की मांग करते हैं. अब मोदी सरकार ने इस संबंध में आयोग बना दिया है. जानते है इस आयोग को गठित करने के पीछे सरकार की मंशा क्या है?
आयोग बनाने के पीछे सरकार की मंशा क्या है?
आरक्षण देने का मामला पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में है और केंद्र सरकार को अगले कुछ दिनों में इस संबंध में अपनी बात रखनी थी. सरकार इस मामले में हड़बड़ी नहीं करना चाहती है, ऐसे में सरकार ने बड़ी चतुराई से इस संबंध में कमिटी बनाकर स्पष्ट कर दिया है कि वह इस मामले में अध्ययन के बाद ही कुछ राय दे पाएगी. आपको बता दें कि इस कमिटी का कार्यकाल दो साल का रखा गया है, यानि कि 2024 के चुनाव के बाद ही इस कमिटी की रिपोर्ट आने की संभावना होगी. ये मामला पिछले कई दशकों से चर्चा में रहा है, जो लोग धर्म परिवर्तन कर मुस्लिम या ईसाई बन गए हैं उनकी तरफ से कई बार इस बात को लेकर सवाल उठाए गए हैं.
संविधान क्या कहता है?
संविधान अनुसूचित जाति (SC) आदेश, 1950 (संशोधन) के मुताबिक, अनुसूचित जाति (एसी) का दर्जा सिर्फ हिंदू, सिख और बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों को ही मिलता है. आपको बता दें कि पहले सिर्फ हिंदू धर्म को ऐसा दर्जा मिलता था, बाद में इसमें सिख और बौद्ध धर्म को जोड़ा गया.
किसे मिलेगा फायदा?
अगर ये कमिटी धर्म बदलने वाले दलितों को एसी कोटे का दर्जा देने के लिए अनुशंसा करती है तो इसका लाभ दलित ईसाई और दलित मुस्लिमों को मिलेगा. अभी तक इन लोगों को इससे बाहर रखा गया हैं. हिंदू धर्म के दलित शुरूआत से ही इस कोटे में हैं. जबकि सिख और बौद्ध धर्म के लोगों को बाद में शामिल किया गया. इसके बाद से मुस्लिम-ईसाई धर्म के प्रतिनिधि भी इस कानून में संशोधन की मांग करते रहे हैं. पिछली सरकारों ने भी इस मांग पर विचार के लिए कई बार कमिटी बनाई लेकिन कभी इस पर सहमति नहीं बन सकी.
बीजेपी करती है इस मांग का विरोध?
भारतीय जनता पार्टी ने हमेशा इस मांग का विरोध किया है, पार्टी एससी कोटे में दलित मुस्लिम और दलित ईसाईयों को शामिल करने का विरोध करती आई है. हालांकि पार्टी ने आधिकारिक तौर पर इस मामले पर कभी कुछ नहीं कहा है, लेकिन पार्टी का मानना है कि इससे धर्म परिवर्तन और तेजी से बढ़ेगा.
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