नई दिल्ली: बेटियां बोझ नहीं हैं. अब वो पूरे घर बोझ उठा रही हैं. देश में ऐसे एक दो नहीं बल्कि हजारों उदाहरण हैं जहां बेटियां अपनी क्षमता और काबिलियत का लोहा मनवाने के साथ अपने माता-पिता का नाम भी रोशन कर रहीं हैं. भारत की एक ऐसी ही बेटी इस वक्त सदमें में हैं क्योंकि उसके पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं.


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यहां बात बिहार (Bihar) की साइकिल गर्ल ज्योति कुमारी (Cycle Girl Jyoti Kumari)  की जो पिछले साल कोरोना महामारी (Corona Pandemic) को लेकर देश में लगे लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान अपने पिता को साइकिल पर बिठाकर गुरुग्राम से अपने गृह जनपद दरभंगा (Gurugram to Darbhanga) ले गईं थी. तब से उनका परिवार वहीं पर रह रहा था. 


'साइकिल गर्ल' के पिता का निधन


आठ दिन में करीब 1200 किलोमीटर का सफर साइकल पर तय करते हुए अपने घायल पिता को हरियाणा (Haryana) से बिहार (Bihar) लाने वाली ज्योति कुमारी की जिंदगी में कल अचानक उस वक्त अंधेरा छा गया जब उसके पिता मोहन पासवान का निधन हो गया. इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित खबर के मुताबिक बीते सोमवार को उनके पिता  की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई. 


डीएम ने जताया शोक


दरभंगा जिले के डीएम डॉ एसएम त्यागराजन ने मौत की पुष्टि की है वहीं उन्होंने कहा कि संबंधित सिंहबारा ब्लॉक के बीडीओ को सिरहुल्ली गांव में मृतक को सहायता और श्रद्धांजलि देने के लिए भेजा गया है.


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पिछले साल ज्योति अपने पिता को साइकिल पर बिठाकर जब अपने गांव पहुंची तो पूरा देश उसका हौंसला देख कर दंग रह गया था. उसके इसी कदम की वजह से ज्योति देश की 'साइकिल गर्ल' के नाम से चर्चित हो गईं थी.


गांव में पसरा सन्नाटा


वहीं परिजनों के जरिए ये खबर सामने आने के बाद गांव में मातमी सन्नाटा छा गया. वहीं सोशल मीडिया पर ज्योति की मदद की अपील की जा रही है. लॉकडाउन के समय ज्योति की मां और अन्य परिजन गांव में रहते थे वहीं ज्योति अपने पिता की देखभाल के लिए दिल्ली से नजदीक गुरुग्राम में रहती थी.


ज्योति कुमारी उस दौरान सुर्खियों में आई थीं जब कोरोना महामारी की शुरुआत के दौरान लगे लॉकडाउन की वजह से देश भर के प्रवासी मजदूर और कामगार अपना काम-धंधा ठप होने की वजह से बड़ी संख्या में मजदूर दूसरे शहरों से अपने घरों को लौट रहे थे.


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