DNA with Sudhir Chaudhary: असम की बाढ़ से ज्यादा बगावत को दिया जा रहा महत्व, जानें क्या है नॉर्थ ईस्ट राज्यों का हाल
DNA with Sudhir Chaudhary: असम में आई बाढ़ में अब तक 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और राज्य के 55 लाख लोग इससे सीधे तौर पर प्रभावित हुए हैं. ढाई लाख लोग ऐसे हैं, जिनके मकान इस बाढ़ में डूब चुके हैं और ये लोग अब सरकार द्वारा बनाए गए राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं.
DNA with Sudhir Chaudhary: असम में इस समय जबरदस्त बाढ़ आई हुई है, जिसमें अब तक 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और राज्य के 55 लाख लोग इससे सीधे तौर पर प्रभावित हुए हैं. ढाई लाख लोग ऐसे हैं, जिनके मकान इस बाढ़ में डूब चुके हैं और ये लोग अब सरकार द्वारा बनाए गए राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं. दूसरी तरफ असम की ही राजधानी गुवाहाटी के एक Five Star Hotel में एकनाथ शिंदे शिवसेना के 40 से ज्यादा विधायकों के साथ रुके हुए हैं और ये विधायक उद्धव ठाकरे की सरकार को कभी भी गिरा सकते हैं. अब सवाल ये है कि इनमें से आपके लिए बड़ी खबर कौन सी है?
आपके लिए बड़ी खबर क्या है?
अगर भारत के मीडिया को देखें तो उसके लिए असम में आई बाढ़ बड़ी खबर नहीं है. बल्कि उसके लिए असम के गुवाहाटी में शिवसेना के बागी विधायकों का रुकना बड़ी खबर है और इससे दुखद कुछ नहीं हो सकता. उत्तर पूर्व भारत के लोग पिछले एक महीने से पूरे देश का ध्यान बाढ़ से हुई तबाही की तरफ खींच रहे हैं, मदद मांग रहे हैं और मीडिया से अपील कर रहे हैं कि हमारी व्यथा को भी अपने चैनल पर थोड़ी सी जगह दो. लेकिन गुवाहाटी की ये आवाज देश तक नहीं पहुंची.
असम की बाढ़ हमारे लिए चिंता का विषय
लेकिन आज हम आपसे यहां ये कहना चाहते हैं कि हमारे लिए बगावत से बड़ी खबर है, असम में आई बाढ़. जिसमें हर दिन कई लोगों की जानें जा रही हैं. शिवसेना के बागी विधायकों के बारे में ही जानना चाहते हैं. लेकिन सोचिए ऐसा कैसे हो सकता है कि असम में अगर बाढ़ आती है तो हम उसे अपना हिस्सा तक नहीं मानते. लेकिन अगर शिवसेना के बागी विधायक असम की राजधानी में आकर रुकते हैं तो गुवाहाटी मुम्बई के बिल्कुल पास आ जाता है और उसका पड़ोसी शहर लगने लगता है
असम में प्राकृतिक आपदा
असम में पिछले दो महीनों में आई ये दूसरी बाढ़ है, जिसमें अब तक 100 से ज्यादा लोग मारे गए हैं. असम में कुल 35 जिले हैं, जिनमें से 32 जिले बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं और असम की सरकार ने बताया है कि 22 जून तक राज्य के लगभग 900 राहत शिविरों में दो लाख 71 हजार लोग शरण ले चुके हैं और ये वो लोग हैं, जिनके मकान बाढ़ में पूरी तरह डूब चुके हैं.
कुछ ऐसी है असम की हालत
Central Water Commission ने बताया है कि इस समय असम की कोपिली और ब्रह्मपुत्र समेत सभी नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. राज्य में भारी बारिश की वजह से ये नदियां अभी और खतरनाक रूप ले सकती हैं, जिससे हालात और भी बिगड़ सकते हैं. आम लोगों के साथ हजारों किसान भी इस बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. अब तक एक लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में फैली फसल इसकी वजह से बर्बाद हो चुकी है और ऊंचे पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन की वजह से सैकड़ों मकानों को नुकसान हुआ है. इसकी वजह से असम में कई नेशनल Highway भी ठप हो गए हैं और असम की मौजूदा स्थिति का अन्दाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि यहां राहत और बचाव कार्यों के लिए अब NDRF के साथ सेना की भी मदद ली जा रही है. प्रधानमंत्री मोदी ने भी असम के हालत को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा से फोन पर बात की है. असम के अलावा मेघायल और त्रिपुरा में भी इस बाढ़ से काफी लोग प्रभावित हुए हैं. लेकिन सोचिए, हमारे देश के मीडिया और हमारे देश के लोगों के लिए ये बाढ़ बड़ी खबर है ही नहीं.
गुवाहाटी बना हॉट टॉपिक
उत्तर पूर्व भारत के जो हमारे दर्शक हैं, वो भी आज इस चीज को लेकर बहुत दुखी हैं कि जब से ये विधायक गुवाहाटी आए हैं, तब से पूरे देश के मीडिया में चारों तरफ गुवाहाटी का नाम छाया हुआ है और सोशल मीडिया पर गुवाहाटी ट्रेंड कर रहा है. लेकिन इससे पहले जब गुवाहाटी में बाढ़ से 100 से ज्यादा लोग मर गए, तब किसी ने गुवाहाटी का नाम तक नहीं लिया. किसी भी राज्य में सरकार क्यों बनती है, वहां के लोगों की सेवा करने के लिए ये सरकार बनती है. लेकिन जब देश की पूरी व्यवस्था ही लोगों की व्यथा से ज्यादा नेताओं की व्यथा पर ध्यान देने लगे तो समझ जाइए कि देश में कुछ गड़बड़ है.
बदलाव की सख्त जरूरत
आज ये सबकुछ उत्तर पूर्व के राज्यों के साथ हो रहा है. लेकिन भविष्य में यही सबकुछ देश के दूसरे राज्यों के साथ भी हो सकता है. क्योंकि हमारे देश में बाढ़ कभी बड़ी खबर बनती ही नही हैं. जिस दिन हमारे देश में बाढ़, बगावत से बड़ी खबर बन जाएगी. उस दिन हमारे देश की राजनीति भी बदल जाएगी. हमारा मीडिया भी बदल जाएगा और हमारे देश का जो पूरा माहौल है, वो भी बदल जाएगा. जिस दिन ऐसा हो जाएगा, उस दिन से हमारे देश में प्रगतिशील और विकास वाली राजनीति भी शुरू हो जाएगी.