MP Women Reservation: चुनाव से पहले शिवराज का बड़ा दांव, MP में महिलाओं को नौकरियों में दिया 35% आरक्षण
Women Reservation Latest News: मध्य प्रदेश में सरकार ने महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 35 फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया है. विधानसभा चुनाव से पहले शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) सरकार ने बड़ा फैसला किया है.
Women Reservation In MP: मध्य प्रदेश (MP) की शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) सरकार ने चुनाव से पहले मुफ्त का बड़ा दांव चला है. शिवराज सरकार ने महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 35 फीसदी आरक्षण (Reservation) देने का फैसला किया है. इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी गई है. विधानसभा चुनाव से पहले मध्य प्रदेश सरकार ने अहम फैसला किया है. इस फैसले के तहत मध्य प्रदेश में होने वाली सीधी भर्तियों में महिलाओं को 35% आरक्षण मिलेगा. वन विभाग को छोड़कर सभी विभागों में ये नियम लागू होगा. इस सबंध में सामान्य प्रशासन विभाग ने नोटिफिकेशन जारी किया है.
एमपी सरकार बड़ा फैसला
चुनाव से पहले महिलाओं के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने बड़ा फैसला किया है. लेकिन कांग्रेस का आरोप है कि मध्य प्रदेश में चुनावी साल में हो रही घोषणाएं सरकार के खजाने पर भारी पड़ रही हैं. विपक्ष ने आरोप लगाया है कि मध्य प्रदेश सरकार की आमदनी करीब 2.25 लाख करोड़ रुपये है और खर्च इससे 54 हजार करोड़ से ज्यादा है. जान लें कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 23 हजार करोड़ की नई घोषणाएं कर चुके हैं. अकेले लाडली बहना योजना पर ही सालाना 19 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे.
कांग्रेस ने उठाए सवाल
बता दें कि कांग्रेस, शिवराज सिंह चौहान सरकार पर ये सवाल भी उठा रही है कि सत्ता की लॉटरी के लिए शिवराज सिंह चौहान बार-बार फ्री वाले दांव चल रहे हैं. शिवराज अपनी सत्ता के लिए जमकर रेवड़ियां बांट रहे हैं. क्या मुफ्त की गारंटी से सत्ता की चाबी मिलेगी और क्या शिवराज का मुफ्त वाला फॉर्मूला चलेगा? महिला कोटे में इजाफा करके क्या शिवराज महिलाओं की नाराजगी दूर कर पाएंगे? कांग्रेस का कहना है कि शिवराज अपनी डूबती नैया को बचाने के लिए रेवड़ियों का सहारा ले रहे हैं.
सरकार पर लगाए ये आरोप
ऐसे में सवाल यह है कि इन सबके लिए पैसा कहां से आएगा, जबकि सरकार पर कर्ज, बजट से ज्यादा हो गया है? विपक्ष का कहना है कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो सरकार के पास दो ही विकल्प होंगे या तो टैक्स बढ़ाकर आमदनी बढ़ाए या विकास योजनाओं के बजट में कटौती की जाए.