Humayun Emperor: मुगलों (Mughals) ने भारत में सैकड़ों सालों तक राज किया, लेकिन एक मुगल बादशाह ऐसा भी था जो अपनी जान बचाने के लिए दिल्ली का सिंहासन छोड़कर भाग गया. उसको भागने के लिए मजबूर होना पड़ा था. करीब 15 साल उसको एक निर्वासित की जिंदगी जीनी पड़ी थी. शेर शाह सूरी (Sher Shah Suri) से युद्ध के बाद ये मुगल भारत छोड़कर सीधे ईरान (Iran) चला गया था. 23 साल की उम्र में इस मुगल को राजगद्दी पर बैठा दिया गया था और जब उसके शासन को 10 साल ही हुए थे तब बिलग्राम के युद्ध में उसको हार का सामना करना पड़ा और फिर वह मारे जाने के डर से ईरान भाग गया. इसके बाद करीब 15 साल के बाद वह भारत वापस आया था और अपना वापस सिंहासन छीन लिया था.


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चौसा के युद्ध में हुई करारी हार


बता दें कि ये ईरान में जाकर शरण लेने वाला ये मुगल बादशाह कोई और नहीं बल्कि बाबर का बेटा और मुगल सल्तनत का दूसरा बादशाह हुमायूं (Humayun) था. सन् 1539 में हुमायूं और शेर शाह सूरी के बीच चौसा में युद्ध हुआ था. इस जंग में मुगल बादशाह हुमायूं की बहुत बुरी हार हुई थी. हुमायूं की जान पर बन पाई थी. लेकिन, सही समय पर वह निकल गया था और जान बच गई थी.


भारत छोड़ने को हुआ विवश


इसके बाद, सन् 1540 में हुमायूं और शेरशाह सूरी के बीच फिर से बिलग्राम में फिर से जंग हुई थी. इस युद्ध में भी हुमायूं को करारी हार मिली थी. इस जंग के बाद तो हुमायूं को भारत छोड़ने पर भी मजबूर होना पड़ा था.


15 साल बाद वापस हासिल की राजगद्दी


हालांकि, 15 साल बाद हुमायूं फिर से भारत वापस आया और सरहिंद के बीच सन् 1555 में जंग लड़ी गई. इस युद्ध में हुमायूं को सफलता हासिल हुई और उसने शेर शाह सूरी को हरा दिया. हुमायूं ने अपना सिंहासन शेर शाह सूरी से वापस ले लिया था. हालांकि, फिर अगले साल ही हुमायूं की मौत हो गई थी. 1556 में सीढ़ियों पर गिरने की वजह से उसकी मौत हो गई थी.


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