India Bullet Train Project: बुलेट ट्रेन मोदी सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट है. इसका काम तेजी से चल रहा है. अब इसे लेकर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बड़ा अपडेट दिया है. राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान वैष्णव ने कहा कि बुलेट ट्रेन में दो कैटेगरी होंगी, पहली जनरल और दूसरी स्पेशल क्लास की. रेल मंत्री ने कहा कि बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट का काम तेजी से चल रहा है. उन्होंने कहा, '320 पिलर बनाने का काम पूरा हो गया है. समुद्र के नीचे करीब 50 मीटर गहरी सुरंग और स्टेशन बनाने का काम भी तेजी से चल रहा है.'


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उन्होंने बुलेट ट्रेन में कैटेगरी के बारे में पूछे गए एक सवाल के बारे में बताया कि 1995 से 2012 तक दिल्ली मेट्रो के निदेशक रहे ई श्रीधरन ने एक बहुत अच्छी व्यवस्था मेट्रो में की कि श्रेणी का वर्गीकरण नहीं होना चाहिए. तब मैं तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के दफ्तर में काम करता था. श्रीधरन की बात को ध्यान में रखते हुए बुलेट ट्रेन में दो कैटेगरी होंगी, पहली नॉर्मल और दूसरी स्पेशल क्लास.'


वंदे भारत में भी दो ही कैटेगरी


वैष्णव ने कहा, 'वंदे भारत में भी दो ही कैटेगरी रखी गई थीं. हमारी प्राथमिकता एक ही श्रेणी की है ताकि कोई भी व्यक्ति कहीं भी आ कर बैठ सके. ऐसा इसलिए है क्योंकि हम जैसे समृद्ध समाज की परिकल्पना करते हैं तो उसमें श्रेणियां नहीं आतीं.'


रेल मंत्री ने बताया कि भारत की पहली बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में जापान के सहयोग से काम चालू हुआ है और इस प्रोजेक्ट के दौरान काम करने के तरीके और प्रौद्योगिकी के बारे में भी अच्छी जानकारियां मिली हैं. उन्होंने कहा, 'दुनिया की करीब करीब सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं ने अपने बड़े शहरों को बुलेट ट्रेन से जोड़ा है. यह एक मुश्किल टेक्नोलॉजी होती है. किसी भी वाहन की गति बढ़ने पर उसे नियंत्रित करने की बहुत जरूरत होती है.'


जापान की मदद से चलेगी बुलेट ट्रेन


उन्होंने कहा कि भारत की पहली बुलेट मुंबई से अहमदाबाद के बीच चलेगी और यह जापान के सहयोग से होगा. उन्होंने कहा कि जापान ने 1969 में बुलेट ट्रेन पर काम शुरू किया और आज उसे इसमें महारत हासिल है. वैष्णव ने बताया कि इस परियोजना के साथ भारत में प्रौद्योगिकी को अच्छी तरह आत्मसात किया गया है. इस परियोजना के साथ काम करने के कई नए तरीके और नई जानकारियों का पता चला है जैसे एलीवेटेड ट्रैक को भूकंप रोधी कैसे बनाया जाए, एक साथ 40 मीटर लंबे, 1100 टन के गर्डर को कैसे लगाया जाए. कई बड़ी क्रेन और मोल्ड की टेक्नोलॉजी भी भारत में बनने होने लगी है.


उन्होंने कहा कि इस परियोजना को एक ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट के तौर पर नहीं देखना चाहिए. उन्होंने कहा कि बुलेट ट्रेन 4-5 बड़े शहरों की अर्थव्यवस्था को जोड़ कर एक बड़ी अर्थव्यवस्था बनाती है. जापान का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि बुलेट ट्रेन ने तोक्यो, नागोया, कोबेल, ओसाका और क्योटो शहरों की अर्थव्यवस्था को जोड़ा. इससे 100 किमी की यात्रा 15-20 मिनट या आधे घंटे की हो जाती है जो उपयोगी है. 


एक अन्य पूरक प्रश्न के जवाब में उन्होंने बताया कि बुलेट ट्रेन जटिल परियोजना है और उसका डिजाइन भी खास होता है और देश की भौगोलिक स्थिति के अनुसार तैयार किया जाता है. कई देशों को केवल डिजाइन में ही 20 साल लग गए. 


'बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में कोई दिक्कत नहीं'


उन्होंने कहा कि हमारे देश में बुलेट ट्रेन के लिए, कोविड काल के बाद 320 पिलर बनाने का काम पूरा हो जाना बड़ी बात है. उन्होंने बताया 'बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में किसी भी तरह की कोई रुकावट नहीं है. परियोजना जटिल है लेकिन सावधानी बरतते हुए इसका डिजाइन तैयार कर तेजी से काम चल रहा है.'


क्या बिहार-बंगाल में भी चलेगी बुलेट ट्रेन?


 उनसे पूछा गया कि आने वाले दिनों में क्या बिहार, पश्चिम बंगाल और ओडिशा जैसे पिछड़े राज्यों में भी बुलेट ट्रेन चलाई जाएगी. इस पर वैष्णव ने कहा 'अभी जटिल प्रौद्योगिकी को समझने और आत्मसात करने पर और देश में इसकी औद्योगिक पारिस्थितिकी बनाने पर पूरा ध्यान केंद्रित है. गर्डर उठाने वाली बड़ी क्रेन की प्रौद्योगिकी पहले तो बाहर से आई लेकिन अब ये क्रेन भारत में ही बनाई जा रही हैं. इसी तरह पहले मोल्ड की प्रौद्योगिकी भी बाहर से लाने के बाद भारत में ही तैयार की जा रही है.' उन्होंने कहा कि जनसंख्या और बदलती परिस्थितियों को देखते हुए भविष्य में एलीवेटेड यात्री गलियारे बनाने होंगे.


(इनपुट-पीटीआई)