नई दिल्ली: मुंबई के कमला मिल्स कंपाउंड में भीषण आग में 14 लोगों की मौत हो गई. मरने वालों में सबसे ज्यादा संख्या महिलाओं की थी. जिस समय यह हादसा हुआ उस वक्त वहां 100 से ज्यादा लोग मौजूद थे. आग लगी देख वे सभी नीचे की ओर जाने वाले रास्ते की ओर भागने लगे जिससे भगदड़ मच गई. हर कोई अपनी जान बचाने की कोशिश में था. लेकिन कुछ लोग ऐसे भी थे, जिन्होंने अपनी जान की परवाह किए बगैर लोगों की जान बचाई.


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मुंबई में गुरुवार देर रात कमला मिल्स कंपाउंड स्थित मोजोज रेस्त्रां में लोग हैंगआउट करने पहुंचे. कुछ लोग वहां पार्टी के लिए पहुंचे थे. सबकुछ ठीक चल रहा था कि अचानक वहां आग लग गई. लपटें उठती देख सभी लोग सीढ़ियों की ओर दौड़े. रेस्त्रां तक आने-जाने का सिर्फ एक ही रास्ता था, ऐसे में वहां भगदड़ जैसे हालात बन गए.


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आग लगी देख कमला मिल्स कम्पाउंड के ऊपरी माले पर मौजूद सिक्योरिटी गार्ड महेश साब्ले ने खुद वहां से भागने की बजाए लोगों को वहां से सुरक्षित नीचे भेजना शुरू कर दिया. एक निजी वेबसाइट के मुताबिक, लोगों को सुरक्षित निकालने में महेश साब्ले की उनके साथी सूरज गिरी और संतोष ने भी मदद की. महेश ऊपर से जिन लोगों को नीचे भेज रहे थे, संतोष और सूरज उन्हें नीचे तक लाकर सुरक्षित बाहर की ओर भेज रहे थे.


किचन स्टाफ ने बचाई जान
महेश साल्बे की तरह ही रेस्त्रां में मौजूद किचन स्टाफ ने भी लोगों की मदद की. इस हादसे में जिंदा बचने वाले कुछ भाग्यशाली लोगों में से एक डॉ. सुलभ केजी अरोरा ने बताया कि सीढ़ियों पर इतनी भीड़ थी कि उनका वहां से निकल पाना संभव नहीं हो पाता. ऐसे में वे और उनके दोस्त किचन की तरफ भागे. वहां के स्टाफ ने उन्हें किचन से नीचे की ओर जा रहे रास्ते की ओर डायरेक्ट किया, जिससे वे बाहर सुरक्षित निकलने में सफल रहे.


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घटना को याद करते हुए डॉ. अरोरा ने ट्वीट किया, "कमला मिल्स में आग करीब 1 बजे लगी. मैं उस वक्त वहीं थी और बड़ी मुश्किल से बाहर जिंदा बचकर आई. कुछ लोग इतने भाग्यशाली नहीं थे. घायलों और मृतकों के लिए प्रार्थना कर रही हूं. यह सबसे भयावह चीज थी जिससे मैं बच निकली."