भोपाल: मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में ऐसे रहस्यमयी गांव (Mysterious Patalkot Village) हैं, जहां ना तो सूरज की किरणें पहुंच पाती हैं और ना ही अब तक कोरोना वायरस (Coronavirus) का कोई मामला सामने आया है. छिंदवाड़ा जिले के रहस्यमयी पातालकोट के गांवों में औषधियों का पौधों का खजाना है और क्षेत्र में चारों तरफ से चट्टान हैं, जिसकी वजह से यहां पर सीधी धूप भी नहीं आती है. इसके अलावा घाटियों के बीच बसे इन गांवों में औषधियों का पौधों का खजाना है.


कहां है पतालकोट?


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मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से 250 किलोमीटर दूर सतपुड़ा की वादियों में पातालकोट (Patalkot Village) बसा है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार पातालकोट में 21 गांव हैं, लेकिन एक दर्जन गांव ही यहां अच्छी तरह से बसे हुए हैं. अन्य में कुछ झोपड़ियां हैं, यहां भूरिया जनजाति के लोग रहते हैं.


लोगों के बीच हैं ये मिथक


टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, पातालकोट के गांवों (Patalkot Villages) में धूप नहीं आने को लेकर आज भी लोगों के बीच कई तरह के मिथक हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि मां सीता इस स्थान से ही धरती में समा गई थी. जबकि, कुछ लोग यह भी कहते हैं कि रामायण के समय में हनुमान जी भी अहिरावण के चुंगल से भगवान राम और लक्ष्मण को बचाने के लिए इसी रास्ते से पाताललोक गए थे.


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दोपहर में होता है शाम का अहसास


धरातल से 3000 फीट नीचे बसे पातालकोट के इन गांवों में दोपहर के समय में शाम का अहसास होता है, क्योंकि यहां सीधी धूप नहीं आती है. कुछ साल पहले गांव के लोग घाटी के गहरे हिस्से से कुछ ऊपर आकर बस गए थे. इसके बाद इन गांवों में करीब चार से पांच घंटे तक धूप आती है, जबकि अभी भी कुछ गांवों में धूप के दर्शन नहीं होते हैं.


इन गांवों में नहीं पहुंच सका है कोरोना वायरस


पूरे देश में करीब डेढ़ साल से कोरोना वायरस कहर बरपा रहा है, लेकिन पातालकोट के इन गांवों (Patalkot Villages) अब कोविड-19 के एक भी मामला सामने नहीं आया है. ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर नरेश लोधी ने बताया कि यहां कोरोना वायरस का एक भी मामला नहीं आया है. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह यह हो सकती है कि यहां बाहरी लोगों का पहुंचना मुश्किल है.


सड़कें बनने के बाद भी यहां जाना मुश्किल


कुछ साल पहले तक पातालकोट के गांवों (Patalkot Villages) से बाहर जाने और अंदर आने के लिए रस्सी एक मात्र सहारा हुआ करती थी. हालांकि अब गांवों तक पहुंचने के लिए सड़क बन गई है, लेकिन इसके बावजूद गांव में पहुंचना काफी कठीन है.


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