UP News: यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने वक्फ एक्ट 1995 के तहत कॉलेज प्रबंधक को नोटिस भेजा था. जिसमें लिखा था उदय प्रताप कॉलेज भाेजूबीर की संपत्ति वक्फ क है. इसे सुन्नी बोर्ड कार्यालय में पंजीकृत कराया जाए.
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Udai Pratap college Varanasi : संसद में वक्फ बोर्ड संसोधन बिल (Waqf Amendment Bill 2024) पर हंगामे के बीच वक्फ बोर्ड ने एक और चौंकाने वाला दावा किया है. PM मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड का नया कारनामा देखने को मिला है. मंदिर, सड़क और सरकार दफ्तरों के बाद अब वक्फ बोर्ड ने एक सदी से ज्यादा पुराने कॉलेज को अपनी ज़मीन बताते हुए उसके मालिकाना हक पर दावा ठोक दिया है.
उदय प्रताप कॉलेज पर वक्फ का दावा
यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने जब 115 साल पुराने कॉलेज पर दावा ठोका तो आस पास के लोगों ने हैरानी जताते हुए वक्फ के नोटिस को गलत बताया है. मानो मनमानी पर उतरे आए वक्फ बोर्ड ने एक बार फिर ऐस मांग की है, जिस पर लोगों को यकीन न हो पा रहा है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने वक्फ एक्ट 1995 के तहत 2018 में कॉलेज प्रबंधक को नोटिस भेजा था. नोटिस में कहा गया है कि वसीम अहमद निवासी भोजूबीर तहसील सदर, वाराणसी ने कहा है कि ग्राम छोटी मस्जिद नवाब टोक मजारात हुजरा उदय प्रताप कॉलेज भाेजूबीर की संपत्ति कॉलेज के नियंत्रण में है. इसे सुन्नी बोर्ड कार्यालय में रजिस्टर्ड कराया जाना चाहिए. नोटिस में आगे कहा गया कि 15 दिनों में जवाब देना होगा, इसके बाद कॉलेज प्रबंधन की बात नहीं सुनी जाएगी.
यूपी कॉलेज की स्थापना 1909 में हुई थी. कॉलेज से जुड़े लोगों का कहना है कि जमीन इंडाउमेंट ट्रस्ट की है और चैरिटेबल इंडाउमेंट एक्ट के तहत आधार वर्ष के बाद ट्रस्ट की जमीन पर किसी का मालिकाना हक अपने आप समाप्त हो जाता है. ऐसे में बोर्ड वाले अपना वक्त बर्बाद कर रहे हैं.