Nainital House Cracks: मॉनसून का दौर आते ही पहाड़ों से तबाही की तस्वीरें आने लगती हैं. कहीं पानी सब कुछ बहाता नजर आता है. तो कहीं लैंडस्लाइड की वजह से पहाड़ टूटते दिखाई पड़ते हैं. ये सिर्फ एक मौसम के वक्त की तस्वीरें होती हैं. लेकिन कुदरत की ये मार और पहाड़ों के साथ इंसान का अत्याचार गांवों और शहर के लिए खतरा बनता जा रहा है. जोशीमठ के दरकने की तस्वीरें हम सब देख चुके हैं. अब नैनीताल टूट रहा है और एक गांव से नैनीताल की तबाही की शुरुआत हो चुकी है.


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नैनीताल टूट रहा है, फैली दहशत


पहाड़ों की रानी नैनीताल. अपनी खूबसूरती और दिलकश मौसम के लिए नैनीताल दुनिया में फेवरेट है. लेकिन अब यही नैनीताल टूट रहा है. उत्तराखंड के नैनीताल से 8 किमी दूर बसे खूपी गांव में चीड़ के सुंदर पेड़ों और सीढ़ीदार खेत के नजारे पर्यटकों को अपनी ओर खींच ले आते हैं. लेकिन गांव के नजदीक आने पर इस गांव का दर्द सामने आता है.


गांव के ज्यादातर घरों में दरारें पड़ी हुई हैं. घरों तक पहुंचने वाली सड़कें टूटकर खाई में समा रही हैं.मिट्टी धंस रही है और कई जगहों पर तो पुल और सड़कों में गड्ढे पड़ चुके हैं.


नैनीताल की पहाड़ियां हो रही कमजोर


नैनीताल के आसपास की ज्यादातर पहाड़ियां भूस्खलन के कारण लगातार कमजोर हो रही हैं. भूस्खलन से नैनीताल का खूपी गांव पिछले कई दशकों से प्रभावित है. खुपी गांव की तलहटी में हो रहे भू कटाव से कई घरों में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ गई हैं. गांव के अस्तित्व पर खतरा पैदा हो रहा है. लोग बड़े खतरे के साए में जीने को मजबूर हैं.


हिमालय बेल्ट पर मौजूद ज्यादातर इलाकों में हालात चिंताजनक हैं. कुदरती वजहों पर गौर करें तो भूकंप के झटके, भारी बारिश और हिमालय की हलचल की बर्बादी की जिम्मेदार है.


दूसरी तरफ इंसानी वजहों की बात करें तो तेज विकास, पहाड़ों पर निर्माण और पर्यटन भी इस बर्बादी और खतरे के लिए कसूरवार हैं.


नीचे खिसक रहा पहाड़


खुपी गांव के नीचे बहने वाले पाइंस नाले का बरसात में बहाव बहुत तेज हो जाता है. इससे गांव के नीचे से भू कटाव के हालात बन जाते हैं. भू कटाव से गांव का पहाड़ धीरे धीरे नीचे की तरफ खिसक रहा है, जिससे घरों के साथ साथ सड़कों और दूसरी जगहों में दरारें बढ़ती जा रही हैं. मकानों के फर्श भी टूटकर अलग हो गए हैं.


नैनीताल के इस गांव को बचाने के लिए प्रशासन ने भी तैयारियां शुरू कर दी हैं. साथ ही लोगों को उन घरों को खाली करने के लिए कहा गया है जिनमें दरारें पड़ गई हैं. सिंचाई विभाग के अधिकारियों को भी डीपीआर बनाने के निर्देश दिए गए हैं, जिससे भूस्खलन प्रभावित इलाकों में काम शुरू किया जा सके.


खुपी ही नहीं बल्कि पूरा नैनीताल शहर ही खतरे में हैं. कुछ दिन पहले ही नैनीताल के सबसे बड़े पर्यटन स्थलों में एक टिफिन टॉप भूस्खलन से गिर गया. नैना पीक पहाड़ भी टूट रहा है. चार्टन लॉज और इसके ऊपर का पूरा पहाड़ भूस्खलन की जद में है. लेकिन तमाम चेतावनियों और आपदाओं के बाद भी लोग मानने को तैयार नहीं हैं. हकीकत यही है कि अगर विनाश से बचना है तो जमीन पर कुदरत से खिलवाड़ को रोकना होगा. और विकास की गति को साधना होगा. वरना हर बार कुदरत अपना प्रतिशोध लेगी और उसका ये प्रतिशोध हर बार और ज्यादा भयानक होगा.


(नैनीताल से सुरेंद्र डसीला की रिपोर्ट)