Kuno National Park: मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) में छह महीने पहले नामीबिया से लाये गए आठ चीतों में से एक मादा चीता ‘साशा’ की गुर्दे की बीमारी के कारण मौत हो गई है. साढ़े चार साल से अधिक उम्र की मादा चीता की मौत को ‘प्रोजेक्ट चीता’ के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. इस प्रोजेक्ट के तहत देश में विलुप्त होने के सात दशक बाद चीतों को फिर से बसाने की योजना है. बता दें पिछले साल सितंबर में नामीबिया से आठ चीतों को लाकर उन्हें श्योपुर जिले के केएनपी में रखा गया है.


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मध्य प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ, वन्यजीव) जे एस चौहान ने कि मादा चीता ‘साशा’ की गुर्दे की समस्या के कारण मृत्यु हो गई.


भारत आने से पहली ही थी ये बीमारी
चौहान ने बताया कि ‘साशा’ नामीबिया से भारत से आने से पहले से ही गुर्दे की बीमारी से पीड़ित थी. उन्होंने कहा, ‘एक निगरानी दल ने 22 मार्च को साशा को सुस्त पाया जिसके बाद उसे इलाज के लिए एक पृथकवास बाड़े में ले जाने का निर्णय लिया गया.’


चौहान ने कहा कि उसी दिन उसके खून का नमूना लिया गया और उसकी जांच की गई. एक पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड मशीन के साथ एक वन्यजीव विशेषज्ञ बीमार चीते की जांच करने के लिए केएनपी के अंदर गया और पाया कि साशा के गुर्दे में संक्रमण है.


चीता कंर्सरवेशन फंड, नामीबिया से किया गया संपर्क
इसके बाद भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) के वरिष्ठ वैज्ञानिकों और केएनपी प्रबंधन ने साशा के इलाज का इतिहास जानने के लिए चीता कंर्सरवेशन फंड, नामीबिया से संपर्क किया. उन्होंने पाया कि 15 अगस्त, 2022 को (केएनपी में स्थानांतरित होने से एक महीने पहले) उसके अंतिम रक्त के नमूने में, पशु का क्रिएटिनिन स्तर 400 (गुर्दे के खराब होने का संकेतक) था.


चौहान ने एक बयान में कहा, उच्च क्रिएटिनिन स्तर से स्पष्ट है कि केएनपी में स्थानांतरण से पहले से ही मादा चीता गुर्दे की बीमारी से पीड़ित थी.


वन्यजीव विशेषज्ञों और केएनपी पशु चिकित्सकों ने साशा को स्वस्थ करने के लिए दिन-रात मेहनत की


वन्यजीव विशेषज्ञों और पशु चिकित्सकों ने दिन रात मेहनत की
वन अधिकारी ने कहा कि नामीबिया के वन्यजीव विशेषज्ञों और केएनपी पशु चिकित्सकों ने साशा को स्वस्थ करने के लिए दिन-रात मेहनत की, लेकिन उसे नहीं बचा सके. उन्होंने बयान में कहा कि अन्य सातों चीते स्वस्थ हैं. सातों में से तीन नर और एक मादा को उद्यान के खुले वन क्षेत्र में छोड़ दिया गया है और वे ‘पूरी तरह स्वस्थ, सक्रिय और सामान्य तरीके से शिकार कर रहे हैं.’


पिछले महीने दक्षिण अफ्रीका से केएनपी लाए गए 12 अन्य चीतों को फिलहाल पृथकवास बाड़े में रखा गया है और वे स्वस्थ और सक्रिय हैं.


नामीबिया से लाए गऐ आठ चीतों – पांच मादा और तीन नर को 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में केएनपी में उनके बाड़े में छोड़ा गया था. भारत में अंतिम चीते की मृत्यु वर्तमान छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में 1947 में हुई थी और भूमि पर सबसे तेज दौड़ने वाले जानवर को 1952 में देश में विलुप्त घोषित किया गया था.


(इनपुट - एजेंसी)


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