प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को पहली बार अर्थव्यवस्था में सुस्ती की बात स्वीकार की, लेकिन उन्होंने आलोचकों से कहा कि वे नकारात्मकता न फैलाएं और साथ ही उन्होंने अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाने का वादा किया. मोदी ने कहा, "पिछले तीन सालों में 7.5 प्रतिशत विकास दर के बाद गिरावट आई है. मैं इससे इंकार नहीं कर रहा. सरकार अर्थव्यवस्था की समस्या से निपटने के लिए पूरी तरह वचनबद्ध है. हम निर्णय लेने के लिए तैयार हैं." उन्होंने कहा, "हमने कई सारे कदम उठाए हैं. वित्तीय स्थिरता बनाए रखी जाएगी. हम निवेश और आर्थिक विकास को बढ़ाने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएंगे." मोदी इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेकेट्ररीज के स्वर्ण जयंती समारोह को संबोधित कर रहे थे. मोदी ने यह बात ऐसे समय में कही है, जब भाजपा नेता यशवंत सिन्हा और विपक्षी दलों ने आर्थिक सुस्ती और बेरोजगारी को लेकर तीखा हमला बोला है, जिसके बाद अर्थव्यवस्था की सेहत को लेकर बहस शुरू हो गई है.


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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गिरते हुए जीडीपी पर पहली बार विपक्ष के हमलों पर जवाब दिया है. पीएम मोदी ने कंपनी सेक्रेटरीज (ICSI) के कार्यक्रम में कहा कि इस सरकार ने नोटबंदी जैसा कठिन फैसला लेने की हिम्मत की. इस सरकार की उपलब्धि है कि कम कैश के साथ अर्थव्यवस्था को चला रहे हैं. आठ नवंबर 2016 को इतिहास में भ्रष्टाचार से मुक्ति के लिए उठाए गए कदम के रूप में जाना जाएगा. अब ब्लैकमनी लेन देन में 50 बार सोचना पड़ता है. महाभारत में शल्य एक शख्स था, जो लोगों को हतोत्साहित करता था. आज भी कुछ लोगों को निराशा फैलाने में मजा आता है. पिछली सरकार में आठ बार ऐसे मौके आए जब जीडीपी 5.7 फीसदी से नीचे गिरे. इस देश ने वह दिन भी देखे हैं जब विकास दर 0.1 फीसदी हो गए थे. पीएम ने कहा कि ये सच है कि पिछले तीन साल 7 फीसदी से ज्यादा की विकास दर हासिल करने के बाद इस बार इसमें गिरावट आई, लेकिन ये भी सच है कि यह सरकार इसे दूर करने के लिए प्रतिबद्ध है. 


पीएम ने कहा कि आचार्य चाणक्य ने कहा है, जैसे पूरे वन में एक ही सूखे पेड़ में आग लग जाए तो पूरा वन जल जाता है. यह बात संस्था पर भी लागू होती है. हमारे देश में मुट्ठी पर लोग हैं जो सरकार और देश को नुकसान पहुंचाने में लगी रहती है. हमारी सरकार ने पहली कैबिनेट में एसआईटी का गठन किया. विदेशों से काला धन लाने के लिए कई तरीके अपनाए. 28 साल से अटका बेनामी संपत्ति कानून लागू किया गया है. कई साल से अटका हुए जीएसटी को लागू किया.


पीएम ने कहा कि जून के बाद कॉमर्शियल गाड़ियों की बिक्री में 12 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है. ट्रैक्टर की बिक्री में 43 फीसदी बढ़ोत्तरी हुई है. ऐसा तब होता है जब देश के लोगों का विश्वास बढ़ता है. पीएम ने व्यापरियों से कहा, हम लकीर के फकीर नहीं हैं. PM मोदी ने कहा कि ऐसी गिरावट अर्थव्यवस्था के लिए और ज्यादा खतरनाक थी, क्योंकि इन वर्षों में भारत  Higher Inflation, Higher Current Account Deficit और Higher Fiscal Deficit से जूझ रहा था.



पीएम मोदी के भाषण की मुख्य बातें-


- हमारी सरकार ने अपने तीन साल में Renewable Energy सेक्टर पर 10 हजार 600 करोड़ रुपए से भी अधिक खर्च किए हैं.
-सरकार की नीतियों और योजनाओं में इस बात का भी ध्यान रखा जा रहा है कि वो गरीबों और मध्यम वर्ग की जिंदगी तो आसान बनाएं.
- बदलती हुई देश की इस अर्थव्यवस्था में अब ईमानदारी को प्रीमियम मिलेगा, ईमानदारों के हितों की सुरक्षा की जाएगी.
- पीएम मोदी ने कहा, ये बात सही है कि पिछले तीन वर्षों में 7.5% की औसत ग्रोथ हासिल करने के बाद इस वर्ष अप्रैल-जून की तिमाही में GDP ग्रोथ में कमी दर्ज की गई. लेकिन ये बात भी उतनी ही सही है कि सरकार इस ट्रेंड को रिवर्स करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं.
- मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि सरकार द्वारा लिए गए कदम देश को आने वाले वर्षों में विकास की एक नई league में रखने वाले हैं.
-इसे ऐसा Dangerous ग्रुप माना गया था जिसकी खुद की अर्थव्यवस्था तो एक समस्या थी ही, बल्कि ये वैश्विक अर्थव्यवस्था की Recovery में भी बाधा थे.
-एक दौर वो था जब अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में भारत को एक नए ग्रुप का हिस्सा बनाया गया था जिसका नाम था- Fragile Five.
- पीएम ने कहा, देश की अर्थव्यवस्था ने ऐसे क्वार्टर्स भी देखे हैं, जब विकास दर 0.2 प्रतिशत, 1.5 प्रतिशत तक गिरी.
-पिछली सरकार के 6 साल में 8 बार ऐसे मौके आए जब विकास दर 5.7 प्रतिशत या उससे नीचे गिरी.
-Demonetisation के बाद Cash to GDP Ratio अब 9 प्रतिशत पर आ गया है। 8 नवंबर 2016 से पहले ये 12 प्रतिशत से ज्यादा हुआ करता था.
-ये सरकार के अथक परिश्रम का ही परिणाम है कि आज देश की अर्थव्यवस्था कम Cash के साथ चल रही है.
- इन लोगों को सिस्टम और संस्थाओं से हटाने के लिए सरकार ने पहले दिन से स्वच्छता अभियान शुरू किया हुआ है.
-हमारे देश में भी मुट्ठी भर लोग ऐसे हैं, जो देश की प्रतिष्ठा को, हमारी ईमानदार सामाजिक संरचना को कमजोर करने का काम करते रहे हैं.
-आज मैं ऐसे विद्वानों के बीच आया हूं, जो इस बात के लिए जिम्मेदार हैं कि देश में मौजूद प्रत्येक कंपनी कानून का पालन करे.
-आज ICSI अपने 50 वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। इस अवसर पर मैं इस संस्था से जुड़े सभी लोगों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं.