NEET Paper Leak secret revealed: प्रीति (बदला हुआ नाम) ने जब 2022 में पहली बार राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा यानी नीट (NEET) का पेपर दिया, तब उसका रैंक छह अंकों में यानी 2 लाख से ऊपर था. लेकिन, जब अगले साल यानी 2023 में अपने दूसरे प्रयास में उसने शानदार प्रदर्शन किया और उसकी रैंक 2 लाख कम होकर 8000 हो गई. वर्तमान में 20 साल की प्रीति मुंबई के LTMG सायन अस्पताल में मेडिकल की पढ़ाई कर रही है. इसी तरह एक अन्य अभ्यर्थी, जिसने 2022 में 10 लाख से अधिक रैंक हासिल की थी. 2023 में अपने दूसरे प्रयास में 13 हजार रैंक हासिल की और अब मुंबई के एक सरकारी अस्पताल में पढ़ती है. नीट पेपर लीक मामले की जांच सीबीआई कर रही है, लेकिन इस बीच इस रिपोर्ट सबको चौंका दिया है.


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साल बदलते कैसे बदल गई छात्रों की किस्मत?


साल बदलते यानी सेकेंड अटेम्प्ट में छात्रों की किस्मत बदलने की प्रवृति से मेडिकल फील्ड से जुड़े शिक्षाविद भी हैरान हैं और गड़बड़ी की आशंका जताई है. उनका कहना है कि सेकेंड अटेम्प्ट की तैयारी के लिए एक साल का ब्रेक लेने के बाद छात्रों ने इस तरह की 'अविश्वसनीय' रैंक कैसे हासिल की. इस मामले में सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात है कि सेकेंड अटेम्प्ट में छात्रों ने ऐसे सेंटर्स (अस्पष्ट केंद्रों) पर परीक्षा दी थी, जिसके बारे में किसी को ज्यादा जानकारी नहीं थी. जबकि, कुछ ने बेलगावी के एक छोटे से गांव से परीक्षा दी तो कुछ ने पटना के पास एक छोटे शहर और अन्य स्थानों को चुना, जो कोचिंग हब के रूप में लोकप्रिय नहीं हैं.


ऐसे छात्रों की लिस्ट बनाने की कोशिश


टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी सूत्रों ने कहा है कि उन छात्रों की लिस्ट बनाने का प्रयास किया जा रहा है, जिन्होंने अस्पष्ट केंद्रों पर अपने सेकेंड अटेम्प्ट में अच्छा स्कोर किया और अब सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस कर रहे हैं.


क्या इस साल भी हुई है इस तरह की धांधली?


इस साल भी ऐसा ही नजारा तब देखने को मिला, जब विभिन्न राज्यों के छात्रों ने गुजरात के गोधरा के एक स्कूल से परीक्षा देने का विकल्प चुना. घोटाले का पर्दाफाश करने वाली गुजरात पुलिस ने कहा कि छात्रों से उन सवालों के जवाब भरने को कहा गया, जिन्हें वे जानते थे और बाकी सवालों के जवाब नहीं दिए गए.


गोधरा के पुलिस अधीक्षक हिमांशु सोलंकी के अनुसार, 'एग्जाम सेंटर सुपरिटेंडेंट को खाली आंसर शीट आधे घंटे में भरनी थीं, जब सुपरवाइजर को पेपर पैक करने का समय मिलता था. आंसर की (NEET Answer Key) कोचिंग संस्थानों द्वारा उपलब्ध कराई जानी थी, जो परीक्षा के बाद कुंजी को ऑनलाइन उपलब्ध कराते हैं.' एक काउंसलर ने कहा है कि पुलिस को इस बात की जांच करनी चाहिए कि छात्रों को ऐसे सेंटर कैसे मिले, जहां छेड़छाड़ की गई.


जब छात्र नीट (UG) का अपना अप्लिकेशन फॉर्म भरते हैं तो उनसे एग्जाम सेंटर के लिए दो शहरों के विकल्प देने की अपेक्षा की जाती है. पैरेंट्स रिप्रेजेंटेटिव और काउंसलर सुधा शेनॉय ने कहा, 'फरवरी में फॉर्म भरने से पहले पैरेंट्स ने मुझे एजेंट्स के बारे में बताया, जिन्होंने कहा था कि वे अभ्यर्थियों के लिए फॉर्म भरेंगे और परीक्षा केंद्र शहरों से दूर होंगे.'


एक्सपर्ट्स ने माना स्थानीय नहीं NEET का मुद्दा


सुधा शेनॉय ने कहा, 'पैरेंट्स को भरोसा दिलाया गया था कि उनके बच्चों को 'हाई' रैंक मिलेगी. इसके लिए 1 लाख रुपये एडवांस और 9 लाख रुपये रिजल्ट के बाद मांगे गए थे. मैंने उन्हें ऐसे किसी भी जाल में फंसने से रोका था.' नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने हमेशा से कहता है कि छात्रों द्वारा दिए गए शहरों के विकल्प के आधार पर कंप्यूटर यादृच्छिक रूप से एक परीक्षा केंद्र बनाता है. इस पर सुधा शेनॉय ने पूछा, 'अगर कंप्यूटर द्वारा बनाए गए केंद्र दिए जाते हैं, तो भुगतान करने वाले छात्र कैसे छेड़छाड़ किए गए एग्जाम सेंटर्स में पहुंच जाते हैं.'


विशेषज्ञों ने कहा कि NEET 2024 विवाद सिर्फ 'स्थानीय' नहीं है, बल्कि संभवतः 'बड़े पैमाने पर फैला हुआ' है. उन्होंने कहा कि NTA को सिस्टम को 'बारीकी से देखने' और 'खामियों को खोजने और उन्हें ठीक करने' की जरूरत है. स्टूडेंट रिप्रेजेंटेटिव और काउंसलर सचिन बांगड़ ने कहा, 'छात्र को 10वीं और 12वीं की परीक्षा देने वाले उम्मीदवार और आधार कार्ड पर दिए गए पते के आधार पर एक स्थानीय सेंटर दिया जाना चाहिए. इसके अलावा, पर्यवेक्षण के लिए सरकारी अधिकारियों को भी शामिल किया जाना चाहिए. वोटिंग प्रोसेस की तरह, उन्हें ड्यूटी के बारे में एक रात पहले ही सूचित किया जाना चाहिए.'


महाराष्ट्र में एडमिशन प्रोसेस में दशकों से काम कर रहे एक अधिकारी ने कहा कि सुरक्षा कारणों से NEET का आयोजन कंप्यूटर पर किया जाना चाहिए. अधिकारी ने कहा, 'इसके अलावा पीजी परीक्षा के लिए लाए गए नए प्रावधानों को यूजी परीक्षा में भी लाया जाना चाहिए. परीक्षा को कई-समय वाले खंडों में विभाजित करना चाहिए, जिन्हें समय समाप्त होने के बाद दोबारा नहीं देखा जा सकता.'