बीजेपी नेता रमाकांत यादव बोले, पार्टी में पिछड़े-दलितों की हो रही उपेक्षा, तभी मिली हार
उत्तर प्रदेश और बिहार के उपचुनावों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को मिली हार के बाद पार्टी के अंदर से ही विरोध के स्वर मुखर होने शुरू हो गए हैं. बीजेपी नेता रमाकांत यादव ने आरोप लगाए हैं कि पार्टी का पिछड़े और दलितों का ध्यान नहीं है.
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश और बिहार के उपचुनावों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को मिली हार के बाद पार्टी के अंदर से ही विरोध के स्वर मुखर होने शुरू हो गए हैं. बीजेपी नेता रमाकांत यादव ने आरोप लगाए हैं कि पार्टी का पिछड़े और दलितों का ध्यान नहीं है. उन्होंने कहा, 'पिछड़े और दलितों की जिस तरह से उपेक्षा की जा रही है, उसका परिणाम आज ही सामने आ गया. मैंने आज भी अपने दल को कहना चाहता हूं, अगर आप दलितों, पिछड़ों को साथ लेकर चलेंगे तो 2019 में संतोष जनक स्थिति बन सकती हैं.'
इससे पहले बुधवार को गोरखपुर और फूलपुर में बीजेपी कई नेता और कार्यकर्ता टीवी चैनलों पर कहते देखे गए कि सत्ता में आने के बाद पार्टी उनकी बातों को तवज्जो नहीं दे रही है. इस बात से कार्यकर्ता नाराज हैं. खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या कह चुके हैं कि अतिआत्म विश्वास की वजह से पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा है. पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश और उत्साह भरने के लिए फिर तैयारी की जाएगी.
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मालूम हो कि उत्तर प्रदेश उपचुनाव में मायावती ने समाजवादी पार्टी (सपा) प्रत्याशी को समर्थन देने की घोषणा की थी. फूलपुर और गोरखुपर सीट पर सपा की जीत के बाद बीएसपी और सपा के कार्यकर्ता साथ मिलकर जश्न मनाते दिखे. चुनाव परिणाम आने के बाद खुद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव बीएसपी सुप्रीमो मायावती से मिलने उनके घर पहुंचे थे. साथ अखिलेश यादव ने सार्वजनिक मंच से मायावती का धन्यवाद किया है.
यूपी और केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी को तगड़ा झटका देते हुए सपा ने बुधवार को फूलपुर और गोरखपुर लोकसभा सीटों पर हुए उप चुनाव में जीत दर्ज की. गोरखपुर सीट उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और फूलपुर सीट उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के सांसद पद से इस्तीफा देने के बाद खाली हुई थी.
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बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने अभी तक की अपनी कट्टर प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी को उप चुनाव में समर्थन का ऐलान किया था और इसका असर बहुत गहरे तक दिखा. माना जा रहा है कि सपा इसके बदले में राज्यसभा चुनाव में बसपा की मदद करेगी.
23 साल बाद एक मंच पर आई बीएसपी-एसपी
उपचुनाव में जीत के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव, बसपा प्रमुख मायावती से मिलने उनके आवास पर गए. दोनों के बीच लगभग एक घंटे तक बातचीत हुई. सपा और बसपा के शीर्ष नेताओं के बीच 1995 के गेस्टहाउस कांड (जिसमें कुछ सपा सदस्यों द्वारा मायावती पर हमला किया गया था) के 23 साल बाद यह आमने-सामने की मुलाकात हुई है.
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उप चुनाव में जीत के बाद अखिलेश ने संवाददाता सम्मेलन में अपनी पार्टी का साथ देने वाले सभी दलों का शुक्रिया अदा किया, विशेषरूप से उन्होंने मायावती को धन्यवाद दिया. संवाददाता सम्मेलन में जिस एक मह्तवपूर्ण सवाल का अखिलेश ने साफ जवाब नहीं दिया वह यह था कि क्या यह गठजोड़ 2019 के आम चुनाव में भी रहेगा. इसके जवाब में उन्होंने इतना ही कहा कि 2019 आने में अभी वक्त है.
गोरखपुर से प्रवीण निषाद जीते
गोरखपुर में सपा के उम्मीदवार प्रवीण कुमार निषाद ने बीजेपी के उपेंद्र दत्त शुक्ला को 21,961 मतों से पराजित किया. यहां निषाद को 4,56,437 मत हासिल हुए. उनके निकततम प्रतिद्वंदी बीजेपी के उपेंद्र दत्त शुक्ला को 4,34,476 मत मिले. कांग्रेस प्रत्याशी डॉक्टर सुरहीता करीम को 18,844 मत मिले.
फूलपुर में सपा के नागेंद्र सिंह पटेल ने बीजेपी के कौशलेंद्र सिंह पटेल को 59,613 मतों से हराया. नागेन्द्र सिह को 3,42,796 वोट मिले, वहीं बीजेपी प्रत्याशी कौशलेंद्र सिंह को 2,83,183 मत हासिल हुए. यहां से स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में लड़ रहे जेल में बंद अतीक अहमद को 48,087 मत हासिल हुए जबकि कांग्रेस प्रत्याशी मनीष मिश्रा को 19,334 मत हासिल हुए.
फूलपुर लोकसभा सीट से विजयी नागेंद्र पटेल ने इस जीत पर फूलपूर की जनता का शुक्रिया अदा किया और कहा कि उन्हें उनके नेता अखिलेश यादव और बहनजी मायावती के आशीर्वाद से जीत मिली है.
फूलपुर वह सीट है जिसपर देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने जीत दर्ज की थी. 1996 के बाद सपा यह सीट चार बार जीत चुकी है. बीजेपी ने यह सीट एक बार 2014 में जीती थी जब केशव प्रसाद मौर्य यहां से विजयी हुए थे.