यहां गुजरे जमाने की बात हुए शराब के सरकारी ठेके, अब रेस्टोरेंट में भी छलकेंगे जाम
नई नीति में खुली शराब बिक्री के लिए एल-17 लाइसेंस दिए जाएंगे जिसमें रेस्तरां और बार भी शामिल हैं. इन रेस्तरां और बार में शराब परोसी जा सकती है. वहां पर म्यूजिक और डीजे की व्यवस्था भी करने की छूट होगी.
नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने रिटेल शराब कारोबार से खुद को अलग करते हुए बुधवार से राष्ट्रीय राजधानी में नई आबकारी नीति लागू करने की घोषणा की है. दिल्ली सरकार के लाइसेंस पर संचालित होने वाली शराब बिक्री की करीब 600 दुकानों में खुदरा बिक्री का मंगलवार को अंतिम दिन रहा. देश की राजधानी में बुधवार से लागू होने वाली नई आबकारी नीति (New Excise Policy) में शराब की बिक्री पूरी तरह से प्राइवेट प्लेयर्स के हाथों में चली जाएगी.
शराब की हो सकती है किल्लत!
नई आबकारी नीति (New Excise Policy) लागू होने के बाद दिल्ली में करीब 850 प्राइवेट शराब बिक्री केंद्र संचालित होंगे जहां से लोग अपनी पसंद की शराब खरीद सकेंगे. बुधवार से ही शराब की प्राइवेट दुकानें शुरू हो जाएंगी. हालांकि, नई व्यवस्था के पहले दिन राजधानी में शराब की उपलब्धता पर थोड़ा असर पड़ सकता है. बुधवार को सिर्फ 250-300 प्राइवेट दुकानों के ही खुलने की संभावना है.
म्यूजिक और डीजे की भी छूट
नई नीति में खुली शराब बिक्री के लिए एल-17 लाइसेंस दिए जाएंगे जिसमें रेस्तरां और बार भी शामिल हैं. इन रेस्तरां और बार में सार्वजनिक प्रदर्शन से बचते हुए शराब परोसी जा सकती है. वहां पर म्यूजिक और डीजे की व्यवस्था भी करने की छूट होगी. हालांकि, होटल और रेस्तरां संघ ने नई आबकारी नीति में रखे गए मिक्स टैरिफ स्ट्रक्चर को लेकर नाखुशी जताई है. संघ की उत्तर भारतीय इकाई ने दिल्ली सरकार के इस टैरिफ स्ट्रक्चर की आलोचना करते हुए कहा कि सालाना एक करोड़ रुपये की फीस रखने से कई फाइव स्टार होटल खुद को फोर स्टार होटल के रूप में रजिस्टर्ड कराना चाहेंगे.
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200 ब्रांड की इतनी MRP हुई तय
संगठन की महासचिव रेणु थपलियाल ने कहा कि होटल के लिए निर्धारित फीस पूरी तरह गैर-आनुपातिक है. उन्होंने कहा कि पांच सितारा होटलों में शराब की बिक्री के लिए चार्ज एक करोड़ रुपया रखने से इस कैटेगरी वाले होटलों की संख्या कम हो जाएगी. बता दें, दिल्ली सरकार ने सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) को बताया था कि दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 के तहत अभी तक शराब के 200 ब्रांड ने रजिस्ट्रेशन कराया है और उनके लिए 184 रुपये एमआरपी तय की गई है. शराब के कई खुदरा विक्रेताओं की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहीं जस्टिस रेखा पल्ली को आप सरकार ने बताया कि नई आबकारी नीति के तहत 192 ब्रांड अपनी रजिस्ट्रेशन फीस दे चुके हैं.
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