मोदी 3.0 में पेंडिंग कामों को मिलेगी प्राथमिकता, सेना की इंटिग्रेटेड बैटल ग्रुप को लेकर सरकार जल्द लेगी फैसला
Army`s integrated battle group plan: नई सरकार लंबे समय से पेंडिंग सेना की इंटिग्रेटेड बैटल ग्रुप को लेकर फैसला ले सकती है. आईबीजी का मकसद सेना में एक ऐसे नए ग्रुप को शामिल करना है. जिसमें तोप, टैंक और वायु रक्षा शामिल होंगे.
Modi 3.0: लोकसभा चुनाव 2024 में एनडीए की जीत के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार को एक बार फिर प्रधानमंत्री पद की शपथ ली है. पीएम मोदी के साथ अन्य 71 कैबिनेट मंत्रियों ने भी शपथ ली है. सोमवार को नई सरकार की पहली कैबिनेट बैठक है. नई सरकार के गठन के बाद सेना की इंटिग्रेटेड बैटल ग्रुप (IBG) की मंजूरी को लेकर भी चर्चा तेज हो गई है.
सूत्रों के अनुसार, यूनिफाइड ट्राई-सर्विस थियेटर कमांड की स्थापना के अलावा नई सरकार लंबे समय से पेंडिंग सेना की इंटिग्रेटेड बैटल ग्रुप को लेकर फैसला ले सकती है. इससे आने वाले दिनों में अब तक सेना के फॉर्मेशन का अहम हिस्सा रहे डिविजन अब खत्म हो जाएंगे.
सेना पायलट प्रोजेक्ट को दे चुकी है अंजाम
आईबीजी के गठन से सेना तेजी से जुटने और पावरफुल अटैक करने में सक्षम होगी. सेना ने पायलट प्रोजेक्ट के पहले चरण के तहत पाकिस्तान के साथ पश्चिमी मोर्चे पर 9 पिवोट कोर के तहत दो आईबीजी का गठन किया है. दूसरे चरण में चीन के साथ पूर्वी हिस्से में 17 'माउंटेन स्ट्राइक' कोर (पानागढ़) में पांच आईबीजी बनाए गए हैं. इन इंटिग्रेटेड बैटल ग्रुप को सभी हथियारों से लैस कराकर कई अभ्यासों में सफलतापूर्वक युद्धाभ्यास कराया जा चुका है.
रिपोर्ट के मुताबिक, सेना ने पहले रक्षा मंत्रालय को 'आईबीजी-आइसेशन' के चरण -1 की रिपोर्ट सौंपी थी. लेकिन रक्षा मंत्रालय ने मंजूरी देने से पहले चरण -2 की रिपोर्ट भी मांगी है.
सेना आईबीजी की भूमिका को लेकर पूरी तरह से उत्साहित है. सेना का मानना है कि आईबीजी की मदद से दुश्मनों के खिलाफ और अधिक और तेज आक्रमक हमले सुनिश्चित होंगे. लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि आईबीजी मॉडल चीन, पाकिस्तान और हिंद महासागर क्षेत्र के लिए गठित किए जाने वाले तीन प्रस्ताव थिएटर कमांडों से कैसे मेल खाता है.
पहले ही काफी देर हो चुकी हैः सूत्र
सेना के एक सूत्र का कहना है कि थिएंटर कमांड एक तरह से रणनीतिक स्तर पर सेना, वायुसेना और नौसेना में सुधार है. आईबीजी मॉडल सेना के भीतर एक सामरिक पुनर्गठन है. इस बदलाव को लाने में पहले ही काफी देरी हो चुकी है. लेकिन आईबीजी को लेकर कुछ वित्तीय उलझन है. इसलिए जीएसएल जरूरी है.
एक पूरी आईबीजी में 5,000-6,000 सैनिक होते हैं. टैंक, तोपखाने, वायु रक्षा, सिग्नल, इंजीनियरों और अन्य जरूरी टीम का एक अलग समूह स्थायी रूप से एक साथ तैनात किया जाएगा. अभी तक इस तरह की टीम केवल अभ्यास या वास्तविक युद्ध के दौरान ही एक साथ आती हैं.