भारत के सेना प्रमुख को 'नेपाल सेना के जनरल' की मानद उपाधि क्यों मिलती है? साल 1950 से क्या है रिश्ता
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भारत के सेना प्रमुख को 'नेपाल सेना के जनरल' की मानद उपाधि क्यों मिलती है? साल 1950 से क्या है रिश्ता

General Upendra Dwivedi to visit Nepal: भारत के सेना प्रमुख नेपाल जाने वाले हैं. उनका यह दौरा बहुत ही महत्वपूर्ण है. इस मौके पर जानते हैं आखिर क्या वजह है कि नेपाल में भारत के चीफ प्रमुख को 'नेपाल सेना के जनरल' की मानद उपाधि क्यों दी जाएगी. क्या है इसके पीछे कहानी.

भारत के सेना प्रमुख को 'नेपाल सेना के जनरल' की मानद उपाधि क्यों मिलती है? साल 1950 से क्या है रिश्ता

General Upendra Dwivedi: सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी भारत और नेपाल के बीच घनिष्ठ रक्षा और रणनीतिक संबंधों को और अधिक विस्तारित करने के तरीके तलाशने के लिए अगले सप्ताह हिमालयी राष्ट्र नेपाल की चार दिवसीय यात्रा करेंगे. सूत्रों ने बताया कि अगले सप्ताह सेना प्रमुख की नेपाल यात्रा दोनों देशों की आपसी सैन्य कूटनीति में एक और महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ेगी.उन्होंने कहा कि इससे रक्षा संबंधों को और मजबूती मिलने की उम्मीद है तथा इससे सैन्य अभ्यास, प्रशिक्षण कार्यक्रम और क्षेत्रीय सुरक्षा संबंधी चिंताओं पर रणनीतिक चर्चा सहित कई मोर्चों पर निरंतर सहयोग का मार्ग प्रशस्त होगा.

'नेपाल सेना के जनरल' मानद उपाधि
जनरल द्विवेदी की यात्रा के दौरान नेपाल के राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल 1950 में शुरू हुई परंपरा को जारी रखते हुए उन्हें ‘‘नेपाल सेना के जनरल’’ की मानद उपाधि प्रदान करेंगे. यह परंपरा दोनों सेनाओं के बीच मजबूत संबंधों को दर्शाती है. जनरल द्विवेदी अपने नेपाली समकक्ष जनरल अशोक राज सिगडेल के साथ गहन वार्ता करने के अलावा हिमालयी राष्ट्र के शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व से भी मुलाकात करेंगे.

भारत के लिए नेपाल क्यों है जरूरी?
क्षेत्र में भारत के समग्र सामरिक हितों के संदर्भ में नेपाल उसके लिए महत्वपूर्ण है और दोनों देशों के नेता सदियों पुराने ‘‘रोटी बेटी’’ संबंधों का अक्सर उल्लेख करते रहे हैं. चारों ओर से जमीनी सीमा से घिरा नेपाल माल और सेवाओं के परिवहन के लिए भारत पर अत्यधिक निर्भर है. नेपाल की समुद्र तक पहुंच भारत के माध्यम से है और वह अपनी आवश्यकताओं का एक बड़ा हिस्सा भारत से और उसके माध्यम से आयात करता है. सूत्रों ने बताया कि भारत और नेपाल के बीच विशेष संबंध हैं, जो सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और भौगोलिक कारकों से और मजबूत हुए हैं. उन्होंने बताया कि यह संबंध एक मजबूत सैन्य साझेदारी में बदल गया है और यह साझेदारी क्षेत्रीय सुरक्षा को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाती है.

नेपाल में ‘बिपिन बेल’ नाम की घंटी का क्या है मतलब?
जनरल द्विवेदी के नेपाल के मुस्तांग क्षेत्र में श्री मुक्तिनाथ मंदिर जाने की भी संभावना है. ऐसा बताया जाता है कि भारत के पहले प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत भी मंदिर आना चाहते थे. उनकी याद में फरवरी 2023 में मंदिर में ‘बिपिन बेल’ नाम की घंटी लगाई गई है.

भारत के सेना प्रमुख का नेपाल दौरा क्यों है जरूरी?
जनरल द्विवेदी की यात्रा के दौरान विभिन्न पहलों के माध्यम से दोनों सेनाओं में जारी रक्षा आधुनिकीकरण पर ध्यान केंद्रित किए जाने की संभावना है. दोनों देश एक दूसरे के सैन्य कर्मियों को अपने प्रतिष्ठित सैन्य संस्थानों में प्रशिक्षण की सुविधा उपलब्ध कराते है. इस सहयोग के तहत इस वर्ष अकेले भारत में 300 से अधिक नेपाली सैन्य कर्मियों को विशेष क्षेत्रों में प्रशिक्षण दिया गया है. इसी तरह, भारतीय सेना के जवान भी नेपाल में प्रशिक्षण लेते हैं. भारत-नेपाल सैन्य सहयोग का एक प्रमुख स्तंभ वार्षिक ‘सूर्य किरण’ संयुक्त सैन्य अभ्यास है.

भारत-नेपाल ने रक्षा सहयोग के लिए की 15 बैठकें
सूत्रों ने बताया कि आतंकवाद रोधी अभियान, आपदा राहत और मानवीय सहायता पर केंद्रित इस सैन्य अभ्यास का 18वां सत्र दिसंबर में नेपाल में आयोजित किया जाएगा. सूत्रों ने बताया कि सुरक्षा मुद्दों पर नेपाल-भारत द्विपक्षीय परामर्श समूह के माध्यम से दोनों देशों ने रक्षा सहयोग पर चर्चा करने के लिए 15 बैठक की हैं. उन्होंने कहा कि जनरल द्विवेदी की यात्रा इन संबंधों को आगे बढ़ाने का अवसर प्रदान करेगी और इस दौरान आपदा प्रतिक्रिया तंत्र में सुधार और क्षेत्रीय सुरक्षा सहयोग का विस्तार करने पर चर्चा की जाएगी. नेपाल में भारत के पूर्व सैनिकों की बड़ी आबादी भी दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. (इनपुट भाषा से)

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