नई दिल्ली: केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (National Highway Authority of India) के कार्यक्रम में भड़क गए और अधिकारियों को फटकार लगई. दरअसल, नितिन गडकरी ने सोमवार को दिल्ली के द्वारका में एनएचएआई (NHAI) की नई बिल्डिंग का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उद्घाटन किया, लेकिन बिल्डिंग निर्माण में हुई देरी को लेकर नाराज दिखे और उन्होंने नकारा अधिकारियों को बाहर का रास्ता दिखाने की बात कही.


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सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो
कार्यक्रम का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) अधिकारियों को फटकार लगाते दिख रहे हैं. वायरल हो रहा वीडियो एनएचएआई कार्यक्रम का है, जिसका पूरा वीडियो नीतिन गडकरी ने अपने ट्विटर पर भी शेयर किया था. ऑनलाइन कार्यक्रम में 8 मिनट 4 सेकेंड के बाद नितिन गडकरी ने बोलना शुरू किया और कहा कि चीजों को उलझाने और अड़चने पैदा कर प्रोजेक्ट्स में देरी करने वाले अधिकारियों की फोटो बिल्डिंग में लगाई जानी चाहिए.




2011 में टेंडर और 2020 में तैयार हुई बिल्डिंग
नितिन गडकरी ने कहा, 'ऐसे कार्यक्रम में प्रथा होती है कि कोई भी काम पूरा होने के बाद उनका सबका अभिनंदन और शुभेच्छा देने की प्रथा होती है. मुझे संकोच हो रहा है कि मैं आपका अभिनंदन कैसे करूं, क्योंकि 2008 में तय हुआ था कि इस प्रकार से बिल्डिंग बनेगी. 2011 में इसका टेंडर हुआ था ये दो- ढाई सौ करोड़ का काम 9 साल के बाद आज पूरा हुआ. इस  काम को पूरा होने को देखने के लिए 2 सरकारें और 8 चेयरमैन लगे और उसके बाद आज ये काम पूरा हुआ. वर्तमान चेयरमैन और सदस्यों का इसके साथ संबंध नहीं है.'


गडकरी ने अधिकारियों को लगाई फटकार
उन्होंने कहा, 'मैंने इसके लिए 2-4 बैठकें ली थीं. अब सरकारी पद्धति के अनुसार कॉन्टेक्टर पर ब्लेम डालकर मामला एनसीएलटी में गया और एनसीएलटी में गया ऐसा कहकर एक रिपोर्ट तैयार होगी. इसमें सबसे जरूरी चीज ये है कि जो विकृत विचार वाले लोग हैं, जिन्होंने एनएचआई में काम नहीं करना, अगर करना है तो रोड़े अटकाना. ऐसे लोग भी 12-12, 13-13 साल तक चिपके हुए हैं. ये लोग मंत्रालय के सुझावों को भी नजरअंदाज करते हैं. ऐसे लोगों की विचारधार विषकन्या जैसी हैं. NHAI के अकर्मण्य, निकम्मे और भ्र्ष्ट लोग इतने पॉवरफुल हैं कि मिनिस्ट्री में कहने के बाद भी वे अपने निर्णय गलत करते हैं. ऐसे ‘अक्षम' अधिकारियों को बाहर का रास्ता दिखाने का समय है.'