NIA ने केरल के प्रोफेसर जोसफ के हाथ काटने के मामले में फरार मुख्य आरोपी सावेद को गिरफ्तार किया है. सावेद पर एजेंसी ने 10 लाख का इनाम घोषित किया हुआ था और ये पिछले 13 सालों से फरार था. इस मामले में NIA ने जनवरी 2011 में 37 आरोपियों के खिलाफ पहली चार्जशीट दाखिल की थी जिसमें आरोपी का नाम था लेकिन ये अभी तक फरार था. इस मामले में 19 आरोपियों को सजा हो चुकी है.


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ये मामला जुलाई 2010 का है जब केरल के न्यूमैन कॉलेज में प्रोफेसर टी जे जोसेफ ने पेपर में मुस्लिमों के पैगंबर मोहम्मद के बारे में आपत्तिजनक सवाल पूछा था. ये सवाल मलयालम भाषा मे B.Com के कॉलेज की परिक्षा में पुछा गया था. आरोप है कि इसी के बाद आरोपियो ने 4 जुलाई 2010 को प्रोफेसर जोसेफ का उस समय हाथ काट दिया था जब वो रविवार के दिन चर्च में प्रार्थना का बाद वापिस घर जा रहे थे. ये घटना उनके परिवार के सामने हुयी और इसके बाद आरोपियो ने बम भी फेंका ताकी आसपास के लोगों में भगदड़ मच जाये और इन्हें पकडा ना जा सके.


 


इस घटना के बाद इलाके में माहौल काफी खराब हो गया था क्योंकि केरल के इदुकी इलाके में ये घटना दिन दहाड़े हुयी थी. पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया था लेकिन इस घटना की गंभीरता को देखते हुये मामले की जांच NIA को दे दी गयी.


 


जांच में पता चला कि इस घटना के पीछे PFI के लोग है और इसमें मुख्य आरोपी सावेद है। इस घटना का मकसद PFI की आतंकी सोच को लोगों तक पहुंचाना भी था ताकी लोगों को ये संदेश पहुंचाया जा सके कि जोभी इस्लाम के बारे में गलत बात करेगा उसके खिलाफ इसी तरह की हरकत की जायेगी. इसके पीछे PFI की तालीबानी सोच भी थी जिसे दार उल खदा नाम दिया गया. दार उल खदा का मतलब कोर्ट होता है जिसमें आरोपी को लोगों के सामने सजा दी जाती है और PFI केरल में इस तालीबानी स्टाइल की कोर्ट को चला रहा था.


 


इसी के बाद एजेंसी ने इस मामले में आरोपियों को गिरफ्तारी करनी शुरू की. गिरफ्तार किये गये सभी आरोपी या तो PFI के थे जिसे भारत सरकार ने सितंबर 2022 में बैन कर दिया है और या फिर PFI की राजनीतिक विंग SDPI यानी Social Democratic Party of India से जुड़े हुये थे. भारत सरकार के PFI को बैन करने से पहले ही जांच एजेंसियों के राडार पर ये संगठन अपनी आतंकी गतिविधियों के लिये निशाने पर आ चुका था और लगातार इससे जुड़े लोगों की गिरफ्तारी की जा रही थी जो आतंकी और देशविरोधी गतिविधियों में शामिल थे. PFI का मंसूबा देश में लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गयी सरकार को गिरा कर देश में 2047 तक इस्लामिक राज स्थापित करना था जिसके लिये ये संगठन लगातार देश में आतंकी वारदातों को अंजाम देने में लगा हुआ था. एजेंसियों से मिल रही लगातार रिपोर्ट के बाद ही भारत सरकार ने इस संगठन को UA(P)A में प्रतिबंधित करने का फैसला लिया था.


 


प्रोफेसर जोसफ मामले में भी एजेंसी ने 37 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी जिसमें से 19 आरोपियों को सजा हो चुकी है. 19 में से तीन आरोपियों को 10 साल की सजा सुनाई गयी थी जबकि बाकी आरोपियों को 8 साल की सजा सुनाई गयी.