Jammu Kashmir News: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने आतंकवादी फंडिंग और कट्टरपंथ की जांच के तहत जम्मू-कश्मीर में कई स्थानों पर छापेमारी की. यह कार्रवाई आतंकवाद के नेटवर्क को खत्म करने की दिशा में चल रहे अभियान का हिस्सा है. छापेमारी जम्मू-कश्मीर के बारामूला, रियासी, बडगाम और अनंतनाग जिलों में की गई. अधिकारियों के अनुसार, यह अभियान क्षेत्र में आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने वाले वित्तीय चैनलों को खत्म करने के लिए है.


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चार अन्य राज्यों में भी कार्रवाई


एनआईए का यह अभियान जम्मू-कश्मीर तक ही सीमित नहीं रहा. केंद्र शासित प्रदेश के अलावा, असम, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में भी 19 स्थानों पर छापेमारी की गई. इन छापों का उद्देश्य आतंकवादी संगठनों को आर्थिक मदद पहुंचाने वाले स्रोतों और उनके समर्थकों को बेनकाब करना है.


जैश-ए-मोहम्मद पर विशेष नजर


सूत्रों के अनुसार, छापेमारी विशेष रूप से प्रतिबंधित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) और उसके समर्थकों की गतिविधियों पर केंद्रित थी. जांच एजेंसी का मानना है कि यह संगठन चरमपंथी विचारधारा फैलाने और आतंकी गतिविधियों के लिए धन जुटाने में सक्रिय है.


जब्त की गई सामग्री और उपकरण


छापेमारी के दौरान एनआईए ने कुछ इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और प्रचार सामग्री जब्त की है. इन उपकरणों और दस्तावेजों की गहन जांच की जाएगी, जिससे आतंकी नेटवर्क के काम करने के तरीकों और उनके फंडिंग स्रोतों का पता लगाया जा सके. एनआईए के प्रवक्ता ने बताया कि "अभी जांच जारी है और जल्द ही इसके नतीजों को सार्वजनिक किया जाएगा."


कट्टरपंथ रोकने के प्रयास


छापेमारी का मुख्य उद्देश्य न केवल आतंकी फंडिंग को रोकना है, बल्कि कट्टरपंथ की जड़ों को भी खत्म करना है. एनआईए जम्मू-कश्मीर पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के साथ मिलकर इस दिशा में काम कर रही है. यह कार्रवाई आतंकवाद को जड़ से समाप्त करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है.


राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अहम कदम


आतंकवादी फंडिंग और कट्टरपंथ राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा हैं. ऐसे में एनआईए का यह कदम बेहद अहम माना जा रहा है. अधिकारियों का कहना है कि इन छापेमारी अभियानों के जरिए आतंकी संगठनों के नेटवर्क को कमजोर करने और उन्हें पूरी तरह खत्म करने की कोशिश की जा रही है. एनआईए और अन्य सुरक्षा एजेंसियां आने वाले समय में भी ऐसे अभियानों को जारी रखेंगी. उनका उद्देश्य न केवल आतंकी फंडिंग को रोकना है, बल्कि समाज में शांति और स्थिरता बनाए रखना भी है.