300 करोड़ के फर्जीवाड़े में लॉबिस्ट नीरा राडिया और बहन से होगी पूछताछ, 3 गिरफ्तार
दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने बैंक से कर्ज लेकर उसके दुरुपयोग के मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. लॉबिस्ट नीरा राडिया (Niira Radia) को पूछताछ के लिए बुलाया गया है.
नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस (Delhi Police) की आर्थिक अपराध शाखा ने कथित रूप से 300 करोड़ रूपये से ज्यादा के बैंक लोन (Bank Loan) के गबन के मामले में नीरा राडिया (Niira Radia) और नयति हेल्थकेयर एंड रिसर्च एनसीआर प्राइवेट लिमिटेड के अन्य प्रमोटर्स और निदेशकों को जांच में शामिल होने के लिए नोटिस भेजा है. अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि सोमवार को नोटिस भेजा गया है.
ये तीन लोग हुए गिरफ्तार
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि नीरा राडिया (Niira Radia) और अन्य से अगले सप्ताह पुलिस के सामने पेश होने को कहा गया है. पुलिस के मुताबिक करोड़ों रुपये के गबन के मामले में गुरुवार को तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया जिनकी पहचान यतीश वहाल, सतीश कुमार नरूला और राहुल सिंह यादव के तौर पर की गई है. उन्होंने कहा कि हड्डी रोग विशेषज्ञ राजीव कुमार शर्मा ने नयति हेल्थकेयर की होल्डिंग कंपनी नारायणी इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ और राडिया, उनकी बहन करुणा मेनन, नरुला, वहाल और अन्य के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी.
30 लाख रुपये महीने देने का किया था वादा
बयान में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, बताया जाता है कि शर्मा नारायणी इन्वेस्टमेंट लिमिटेड के उपाध्यक्ष और कार्यकारी निदेशक हैं. गुड़गांव में एक अस्पताल बनाने और चलाने के दृष्टिकोण से कंपनी बनाई गई थी. इसमें फरियादी डॉक्टर के 49 प्रतिशत शेयर हैं, जबकि बाकी 51 प्रतिशत शेयर कंपनी के दो अन्य निदेशकों चंदन मिश्रा और चर्चित मिश्रा के नाम हैं. पुलिस के मुताबिक शर्मा को उनकी सेवाओं के लिए बिजनेस फीस के तौर पर 30 लाख रुपये महीने देने का भी वादा किया गया था.
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ये है आरोप
बताया गया कि गुड़गांव में अस्पताल के निर्माण के दौरान ओएसएल हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड को कुछ वित्तीय समस्याओं का सामना करना पड़ा और अधिकतर शेयरधारकों/निदेशकों ने अपने 51 प्रतिशत शेयर 99 करोड़ रुपये मूल्य पर नारायणी इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड को बेच दिये. आरोप है कि कंपनी ने गुड़गांव में अस्पताल बनाने के लिए यस बैंक से 312 करोड़ रुपये का कर्ज लिया, लेकिन फंड का इस्तेमाल उक्त मकसद से नहीं किया गया और इसका दुरुपयोग किया. पुलिस के मुताबिक आरोप है कि उन्होंने शिकायतकर्ता को उनका 15.8 करोड़ रुपये का मेहनताना नहीं दिया और फर्जी तरीके से उनके शेयर 49 प्रतिशत से 6.3 प्रतिशत कर दिये.
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