Prayagraj Mahakumbh 2025: प्रयागराज पहुंचे जूना, अग्नि और आह्वाहन अखाड़े के सैकड़ों साधु, पूजा अर्चना के साथ स्थापित की धर्म ध्वजा
Advertisement
trendingNow12528607

Prayagraj Mahakumbh 2025: प्रयागराज पहुंचे जूना, अग्नि और आह्वाहन अखाड़े के सैकड़ों साधु, पूजा अर्चना के साथ स्थापित की धर्म ध्वजा

Prayagraj Mahakumbh 2025 Latest News: प्रयागराज में 12 साल बाद लगने जा रहे महाकुंभ में शामिल होने के लिए जूना, अग्नि और आह्वाहन अखाड़े के सैकड़ों साधु संगम पर पहुंच गए हैं. उन्होंने वहां पर अपनी धर्म ध्वजा स्थापित कर ली है.

Prayagraj Mahakumbh 2025: प्रयागराज पहुंचे जूना, अग्नि और आह्वाहन अखाड़े के सैकड़ों साधु, पूजा अर्चना के साथ स्थापित की धर्म ध्वजा

Who is Juna Akhara: प्रयागराज के संगम तट पर लगने वाले महाकुंभ के लिए अखाड़ों ने मेला क्षेत्र में प्रवेश करना शुरू कर दिया है. शनिवार को श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा, अग्नि और आह्वाहन अखाड़े ने धर्म ध्वजा की स्थापना की है. विधिवत वैदिक मंत्रोच्चार के साथ तीनों अखाड़ों ने धर्म ध्वजा को मेला क्षेत्र में स्थापित कर दिया है. ढोल नगाड़ों के साथ हजारों की संख्या में संत और महत्मा धर्म ध्वजा स्थापना में शामिल हुए. धर्म ध्वजा की स्थापना के साथ ही अब यहां पर जूना अखाड़े के रमता पंच के संतो का निवास भी शुरू हो जाएगा. प्रयागराज में अगले साल 13 जनवरी से 25 फरवरी तक महाकुंभ का आयोजन होगा.

जूना अखाड़े ने स्थापित की धर्म ध्वजा

महाकुंभ की समाप्ति तक अब जूना अखाड़े के साथ ही अग्नि और आह्वाहन अखाड़े के संत यहीं पर धर्म ध्वजा के नीचे सनातन और आस्था की अलख जगाएंगे. मान्यता है कि इसी धर्म ध्वजा के नीचे नए संन्यासियों को दीक्षा भी दिलाई जाती है. इसके साथ ही अखाड़े से जुड़े सभी निर्णय भी इसी धर्म ध्वजा के नीचे ही लिए जाते हैं. जूना अखाड़े के प्रवक्ता नारायण गिरी ने बतााय कि अखाड़ों की यह धर्म ध्वजा 52 हाथ लंबी लकड़ी में फहराई जाती है. यह धर्म ध्वजा अखाड़ों की पहचान ही नहीं बल्कि उनकी परम्परा का वाहक भी है. 

क्या है जूना अखाड़े का इतिहास?

जूना अखाड़ा सनातन धर्म के सबसे पुराने अखाड़ों में से एक है. इसकी स्थापना 1145 में उत्तराखंड के कर्णप्रयाग में  पहला मठ स्थापित करके की गई थी. इसके ईष्टदेव शिव और रुद्रावतार गुरु दत्तात्रेय हैं. इसे भैरव अखाड़ा भी कहा जाता है. हरिद्वार के मायामंदिर के पास इसका अपना आश्रम है, जबकि वाराणसी के हनुमान घाट को इसका केंद्र माना जाता है. अनुमान के मुताबिक जूना अखाड़े में करीब 5 लाख नागा साधु और महामंडलेश्वर संन्यासी हैं. इस अखाड़े में शामिल होने और दीक्षा लेने के नियम बहुत सख्त हैं. 

युद्धकौशल में माहिर होते हैं संत

जूना अखाड़े के संत कुश्ती और युद्धकौशल में माहिर माने जाते हैं. इस अखाड़े के अध्यक्ष प्रेम गिरी महाराज और आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज हैं. इस अखाड़े से देश-विदेश के करोड़ों श्रद्धालु जुड़े हुए हैं. किन्नरों को समाज में सम्मान दिलवाने के लिए जूना अखाड़े ने किन्नर अखाड़े को अपने साथ जोड़कर उसे धर्म ध्वजा लगाने और राजसी स्नान का मौका दिया है. 

Trending news