नई दिल्ली: राष्ट्रपति भवन में गणतंत्र दिवस के मौके पर 'एट होम' समारोह आयोजित किया गया. इसमें रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने लांस नायक नजीर अहमद वानी के परिवार से मुलाकात की. वानी कश्मीर में 6 आतंकवादियों को मारते हुए शहीद हो गए थे. गणतंत्र दिवस के मौके पर उन्हें अशोक चक्र से सम्मानित किया गया.


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लांस नायक नजीर अहमद वानी को मरणोपरांत मिले अशोक चक्र सम्मान को शनिवार को उनकी पत्नी ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर ग्रहण किया. वानी ने जम्मू-कश्मीर में शहीद होने से पहले दो आतंकवादियों को मौत के घाट उतार दिया था.


70वें गणतंत्र दिवस पर, वानी की मां के साथ उनकी पत्नी महजबीन ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से अशोक चक्र पुरस्कार ग्रहण किया. पुरस्कार ग्रहण करते समय दो बच्चों की मां और शिक्षिका महजबीन की आंखें अश्रुपूरित थीं. अशोक चक्र शांतिकाल में दिया जाने वाला सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है. वानी अशोक चक्र पाने वाले पहले कश्मीरी हैं. आप भी देखिए वीडियो...



राष्ट्रीय राइफल्स की 34वीं बटालियन से जुड़े वानी आतंकवाद छोड़कर मुख्यधारा में लौट आए थे. वह दो आतंकवादियों का सफाया करने के बाद पिछले साल 25 नवंबर को कश्मीर घाटी में बटगुंड के पास हीरापुर गांव में मुठभेड़ के दौरान शहीद हो गए थे.


सम्मान के वक्त प्रशंसात्मक उल्लेख में कहा गया कि वानी द्वारा मारे जाने वालों में लश्कर-ए-तैयबा का जिला कमांडर और एक विदेशी आतंकवादी शामिल था. उसके बाद उन्हें कई गोलियां लगीं, उनके सिर में भी गोली लगी. दम तोड़ने से पहले उन्होंने एक अन्य आतंकवादी को भी घायल कर दिया.


वानी आतंकवाद का रास्ता छोड़कर 2004 में भारतीय सेना की 162 इंफेंट्री बटालियन (प्रादेशिक सेना) से जुड़े थे. उन्हें 2007 और 2018 में दो बार वीरता के लिए सेना मेडल से सम्मानित किया गया. उन्हें 2018 सेना मेडल एक आतंकवादी को बहुत करीब से मारने के लिए दिया गया था.


जम्मू-कश्मीर के कुलगाम में चेकी अश्मुजी के रहने वाले वानी शोपियां के बाटगुंड के निकट हीरापुर गांव में आंतकवादियों के साथ मुठभेड़ में वह 25 नवंबर को शहीद हो गए थे. उनके परिवार में पत्नी और दो बेटे हैं.